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संजय पंकज को साहित्य गौरव सम्मान

–विश्व हिंदी शोध एवं संवर्धन अकादमी, वाराणसी ने किया अलंकृत
–काशी-वाराणसी साहित्य महोत्सव में डॉ पंकज की रही गंभीर वैचारिक उपस्थिति
मुजफ्फरपुर(जनमन भारत संवाददाता)। साहित्य, संस्कृति और अध्यात्म की नगरी वाराणसी में ‘काशी-वाराणसी विरासत फाउंडेशन’ के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय ‘काशी-वाराणसी साहित्य महोत्सव’ में संसाधन विद्वान (रिसोर्स पर्सन) के रूप में चर्चित साहित्यकार डॉ संजय पंकज का सम्मिलित होना गौरव की बात है। बिहार की रचनात्मकता का पूरे देश में नेतृत्व करने वाले डॉ संजय पंकज साहित्य की विभिन्न विधाओं की कई महत्वपूर्ण और चर्चित कृतियों के यशस्वी रचनाकार हैं। मां पर केंद्रित दोहा छंद की पुस्तक ‘मां है शब्दातीत’ की चर्चा प्रसिद्ध राम कथा वाचक मोरारी बापू और रमेश भाई ओझा जैसे संत और विद्वान अपने प्रवचनों में निरंतर करते हैं।
राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक सांस्कृतिक तथा साहित्यिक विषयों पर लेखन करने वाले डॉ पंकज  दूरदर्शन के विभिन्न केंद्रों से काव्य पाठ और साहित्य विमर्श के लिए भी जाने जाते हैं। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन नेशनल बुक ट्रस्ट के न्यासी तथा महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री द्वारा संस्थापित-संपादित पत्रिका ‘बेला’ के संपादक संजय पंकज ने काशी-वाराणसी साहित्य महोत्सव के कई सत्रों में अपने विद्वता पूर्ण सार्थक संवाद से बुद्धिजीवियों को प्रभावित किया। विश्वनाथ मंदिर के नवनिर्मित विशाल कॉरिडोर में स्थित सभा भवन में उद्घाटन के साथ ही साहित्य, समाज और संस्कृति को केंद्र में रखकर हुए प्रथम विमर्श सत्र में ही ‘साहित्य के परिप्रेक्ष्य परंपरा और वर्तमान’ विषय पर डॉ पंकज ने मुख्य वक्ता के रूप में संदर्भों के परिप्रेक्ष्य में अपने तर्क सम्मत विचारों को रखा। उस सत्र में इन्हें सम्मानित किया गया। अन्य सत्रों में भी अलग-अलग भूमिकाओं में डॉ पंकज की सराहनीय प्रस्तुति हुई। काशी साहित्य महोत्सव के समापन के उपरांत ‘विश्व हिंदी शोध एवं संवर्धन अकादमी’, वाराणसी द्वारा अकादमी के संस्थापक निदेशक, साहित्यकार हीरालाल मिश्र मधुकर की अध्यक्षता में आयोजित सम्मान गोष्ठी में डॉ संजय पंकज को ‘साहित्य गौरव’ सम्मान से पुष्पगुच्छ, शॉल, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, पुस्तकें तथा अन्य प्रेमोपहार देकर अलंकृत किया गया। इससे पूर्व संत कबीर की प्राकट्य स्थली लहरतारा, वाराणसी के महंत गोविंद शास्त्री ने भी कबीर मंदिर में डॉ पंकज को सम्मानित किया। संजय पंकज को साहित्य गौरव से सम्मानित होने पर शहर के साहित्यकारों, रंगकर्मियों तथा संस्कृतिकर्मियों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी।
डॉ महेंद्र मधुकर, डॉ रामप्रवेश सिंह, डॉ देवव्रत अकेला, डॉ रवींद्र उपाध्याय, डॉ ब्रजभूषण मिश्र, डॉ पूनम सिंह, डॉ सतीश कुमार राय, डॉ इंदु सिन्हा, डॉ पूनम सिन्हा, डॉ वंदना विजयलक्ष्मी, डॉ रंजीत पटेल, डॉ विजय शंकर मिश्र, डॉ रणवीर राजन, डॉ यशवंत, डॉ शारदाचरण, कुमार राहुल, श्यामल श्रीवास्तव, डॉ पुष्पा प्रसाद, अरविंद कुमार, संजय कुमार संजू, डॉ राकेश कुमार मिश्र, प्रेमरंजन, प्रमोद आजाद, डॉ विकास नारायण उपाध्याय, डॉ केशव किशोर कनक, एचएल गुप्ता, प्रवीर तिवारी, संजीव साहु, मुकेश त्रिपाठी, अविनाश तिरंगा, प्रेमभूषण, ब्रजभूषण शर्मा, मधुमंगल ठाकुर, चैतन्य चेतन, अनुराग आनंद आदि ने अपने भाव उद्गार में कहा कि डॉ संजय पंकज मुजफ्फरपुर की पहचान हैं और पूरे देश में साहित्यिक सांस्कृतिक दूत के रूप में प्रतिनिधित्व करते हैं। विदित हो कि अपनी निरंतर साहित्य साधना से सृजन और सम्मान की उपलब्धि हासिल करने वाले डॉ संजय पंकज रामायण मेला, चित्रकूट के 50 वें वर्ष के आयोजन में सम्मिलित होकर 18 फरवरी से 22 फरवरी तक चित्रकूट में अपना विचार रखेंगे। विश्व पुस्तक मेला दिल्ली में उनकी पुस्तकों का लोकार्पण भी होगा।

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