मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। इस दिन आंवला पेड़ की पूजा-अर्चना कर दान पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आचार्य सुजीत शास्त्री (मिट्ठू बाबा )ने बताया कि अक्षय नवमी के दिन इन बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।अन्य दिनों की तुलना में नवमी पर किया गया दान-पुण्य कई गुना अधिक लाभ दिलाता है। इस दिन आंवला पेड़ की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।पूजा-अर्चना के बाद खिचड़ी या खीर, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान्न आदि का भोग लगाया जाता है। आंवला पूजन के बाद पेड़ की छांव में ब्राह्मण भोजन कराकर स्वयं भी भोजन करना चाहिए। इस दिन महिलाएं अक्षत, पुष्प, चंदन आदि से पूजा-अर्चना कर पीला धागा लपेटकर वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
*मिट्ठू बाबा ने बताया कि इसदिन निम्नलिखित 10 बातो पर ध्यान देना चाहिए।*
1. अक्षय नवमी पर प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें।
2. तत्पश्चात धात्री वृक्ष (आंवला) के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर ‘ॐ धात्र्ये नम:’ मंत्र से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धार गिराते हुए पितरों का तर्पण करें।
3. कपूर एवं घी के दीपक से आरती कर प्रदक्षिणा करें। आंवला वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें।
4. पूजा-अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान्न आदि का भोग लगाएं।
5. आंवले के वृक्ष के नीचे विद्वान ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा दक्षिणा भेंट करें। खुद भी उसी वृक्ष के निकट बैठकर भोजन करें।
6. इस दिन आंवले का वृक्ष घर में लगाना वास्तु की दृष्टि से शुभ माना जाता है।
7. वैसे तो पूर्व की दिशा में बड़े वृक्षों को नहीं लगाना चाहिए किंतु आंवले के वृक्ष को इस दिशा में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसे घर की उत्तर दिशा में भी लगाया जा सकता है।
8. जिन बच्चों की स्मरण शक्ति कमजोर हो तथा पढ़ाई में मन न लगता हो, उनकी पुस्तकों में आंवले एवं इमली की हरी पत्तियों को रखना चाहिए।
9. अक्षय नवमी धात्री तथा कूष्मांडा नवमी के नाम से भी जानी जाती है।
10. इस दिन पितरों के लिए ऊनी वस्त्र एवं कंबल दान करना चाहिए।