पटना (वरुण कुमार)। महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी के 200वें जन्म दिवस पर सादर नमन। आज महर्षि दयानंद सरस्वती जी का 220 जन्म दिवस है। जब हम ऋषि दयानंद जी के जीवन पर दृष्टि डालते हैं, तो पाते हैं ऋषि दयानंद का जन्म ऐसे समय हुआ जब हमारा भारत वर्ष अविद्या के अंधकार में डूबा हुआ तथा विदेशियों का दास व गुलाम था। वह एक योगी तो थे ही, वेदों के प्रकांड विद्वान भी थे। वह संपूर्ण आध्यात्मिक क्रांति के संदेशवाहक थे। उनके सुधारवादी कार्यक्रमों में पूरे देश का कायाकल्प करने की शक्ति थी। स्त्री शिक्षा, अछूतों का उद्धार, विधवाओं के पुनरुद्धार, सबके लिए शिक्षा, गुण कर्म के अनुसार वर्ण व्यवस्था, समस्त मानवों के लिए वेद अध्ययन, पंच महायज्ञ का विधान आदि उनके कार्यक्रम के अंग थे। प्राणियों के उत्थान के लिए स्वामी जी योद्धा की भांति जूझते रहे तथा उसी के लिए प्राणों की आहुति दे दी।
उन्होंने अपने विषदाता को भी अभय दान दे दिया। कष्ट सहकर भी वह धर्म के मार्ग पर अडिग रहे। समग्र आध्यात्मिक क्रांति के अग्रदूत होते हुए भी उन्होंने कोई नया मत नहीं चलाया बल्कि वैदिक मान्यताओं पर आधारित समाज की स्थापना की। उक्त बातें परसा बाजार स्थित दव पब्लिक स्कूल के प्राचार्य मनोज कुमार झा ने कहीं उन्होंने महर्षि के चित्र माल्यार्पण कर दीप जलाए और कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस मौके पर विद्यालय परिसर में वैदिक हवन कार्यक्रम आयोजित किया गया। विद्यालय के प्राचार्य मनोज कुमार झा के साथ-साथ सभी शिक्षक शिक्षिकाओं ने पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद विद्यालय के प्राचार्य श्री झा ने स्वामी दयानंद सरस्वती के व्यक्तित्व एवं उनके कार्य पर प्रकाश डाला तथा उनके सुविचारों से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया। इस अवसर पर विद्यालय के अध्यापक देवेश कुमार चौबे की अगुवाई में छात्र-छात्राओं द्वारा श्लोक गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में निर्णायक गण की भूमिका में शिक्षिका स्वाति सिंह और माला कुमारी मौजूद थी।
आयोजन को सुचारू रूप से चलने में विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाओं में अशोक कुमार, प्रभाकर झा, देवेश कुमार चौबे, प्रदीप तिवारी, नेहा, माला कुमारी, उमा भारती, कुमारी कृतिका, मनीषा, पूजा समेत महत्वपूर्ण लोगों ने भूमिका निभाई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं के अलावा अभिभावक उपस्थित थे।