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बिहार की होली सामाजिक समरसता की मिसाल है : संजय पंकज

–ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल, पकड़ी में बिहार दिवस के परिप्रेक्ष्य में आयोजित हुआ ‘बिहार वैभव और होली संस्कृति: एक परिसंवाद”
–पारंपरिक होली गीतों के वातावरण में गुलाल, इत्र और फूलों की पंखुड़ियों से खेली गई होली
–शामिल हुए छात्र, शिक्षक और अभिभावक भी
मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। ” बिहार केवल एक भूखंड भर नहीं है, इसकी अपनी एक समृद्ध वैचारिक परंपरा है। बिहार ने विश्व को हर क्षेत्र में ज्ञान दिया। अनेक देशों के नकारात्मक सोच को बदलने के लिए उसका हृदय परिवर्तन भी किया। भारत की बड़ी शक्ति के रूप में बिहार एक संस्कृति है। लोकतंत्र का संदेश देने वाला बिहार प्रेम, सद्भाव, करुणा और अहिंसा की भूमि है। विदेहराज जनक, जगत जननी सीता, भगवान महावीर, ऋषि याज्ञवल्क्य,गुरु गोविंद सिंह, चाणक्य जैसे मनीषियों को जन्म देने वाला बिहार चंद्रगुप्त, समुद्रगुप्त, अशोक जैसे प्रतापी शासकों को भी पैदा किया।”- ये बातें ऑक्सफोर्ड  पब्लिक स्कूल,पकड़ी में बिहार दिवस के परिप्रेक्ष्य में ‘बिहार वैभव और होली संस्कृति: एक परिसंवाद’ विषय पर बोलते हुए मुख्यअतिथि साहित्यकार डॉ संजय पंकज ने कही।
होली संस्कृति पर बोलते हुए डॉ पंकज ने आगे कहा कि होली महान भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्व है। यह प्रकृति और मनुष्य के सकारात्मक भावों को असीम ऊर्जा से संपन्न करती है। रंग, गंध की ताजगी मनुष्य की चेतना का विस्तार करती है। राम ने होली को मर्यादा तो कृष्ण ने उल्लास से संपन्न कर दिया। शिव ने इसे मस्ती में भरकर गीत-संगीत, राग-रंग,गंध-स्वाद से भर दिया। बिहार की होली देवस्थानों से लेकर गांव-शहर के चौपालों और हर दरवाजे पर आज भी गले-गले मिलकर आलोकित होती है। समरसता और प्रेम का सबसे बड़ा पर्व है होली।
सुधीर कुमार ने होली और कृष्ण पर बोलते हुए कहा कि बिहार अपनी परंपरा और विरासत को अच्छी तरह से संभालना जानता है। सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के अवकाश प्राप्त राजभाषा अधिकारी विमल कुमार परिमल ने कहा कि नदियों की तरलता से अभिसिंचित बिहार कई संस्कृतियों का संरक्षक और जन्मदाता भी है।
अविनाश तिरंगा और ऑक्सीजन बाबा ने स्वागत संबोधन में कहा कि भारत की मजबूती बिहार के मानव बल से भी है। श्रमिक मजदूर के रूप में हमारे बिहारी भाई भारत के साथ ही संसार के अनेक देशों में आज भी हैं और उनके साथ हमारी संस्कृति वहां गई है। मॉरीशस इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
परिसंवाद में अखिलेश चंद्र राय, अरुण कुमार, डॉ केशव किशोर कनक, डॉ आशा कुमारी, डॉ मधुलिका सिन्हा, अनिल विद्रोही, सुधांशु राज,चैतन्य चेतन, मनीष श्रीवास्तव, डॉ सुबोध राय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। होली उत्सव में शामिल हुए छात्र अभिभावक और शिक्षक भी।आयोजन में सबने एक दूसरे को गुलाल लगाकर शुभकामनाएं दीं ।
फूलों की पंखुड़ियों तथा इत्र की खुशबू से पूरा वातावरण होली के गीत संगीत के प्रवाह में भींगता रहा। पारंपरिक होली गीतों ने पूरे परिवेश को वासंतिक सौरभ में डुबो दिया।

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