मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। मुसहरी प्रखंड के प्रह्लादपुर गांव निवासी महात्मा गांधी के निकट सहयोगी रहे 105 वर्षीय गांधीवादी शिवशंकर शर्मा का निधन सोमवार को हो गया।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. हेमनारायण विश्वकर्मा ने बताया कि गांधीवादी शिव शंकर शर्मा जी का जन्म 3 मार्च 1919 को हुआ था। वे 105 वर्ष पूरा करने के करीब थे, फिर भी अपना सारा काम स्वयं करते थे। आठ दशक से खादी वस्त्र एवं गांधी टोपी धारण कर रहे थे। उनके पिता राम अनुग्रह शर्मा स्वतंत्रता सेनानी थे। वे भी उनके सान्निध्य में रह कर आजादी की लड़ाई लड़े थे। वर्ष 1932 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उनको अपने हाथों से गांधी टोपी पहनाई थी। तब से वे खादी वस्त्र एवं गांधी टोपी धारण कर रहे थे। शाकाहारी रहते हुए वे औरों को इसके लिए प्रेरित करते। आजादी के बाद सरकार ने उनको स्वतंत्रता सेनानी पेंशन देने की घोषणा की, तो उन्होंने उसे ठुकरा दिया। उन्होंने 1956 से 1999 तक बिहार खादी ग्रामोद्योग संघ कन्हौली में अपनी सेवा दी। समाजसेवा का धर्म निभाने के साथ पर्यावरण संरक्षण का काम किया। श्मशान घाटों पर सैकड़ों पौधे लगाए थे। वे महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत का पालन पूरी तरह से करते रहे। जीव हत्या का विरोध करते हुए लोगों को जागरूक करते। इसी के चलते वे ताउम्र शाकाहारी रहे। दूसरों को भी शाकाहार के लिए प्रेरित करते रहे। गांधी के विचारों का उनपर इतना प्रभाव था कि जीवनपर्यंत पर्यावरण की रक्षा के लिए साइकिल की सवारी करते रहे। साथ ही, खादी को अपना मिशन बनाया। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। आनेवाले समय में उनकी कमी हमेशा खलेगी। वे अपने पीछे एक पुत्री सुभद्रा देवी व चार पुत्र ब्रज भूषण शर्मा, आनंद कुमार शर्मा, लक्ष्मीकांत शर्मा, देवकांत शर्मा एवं भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन पर शोक व्यक्त करने वालों में मुख्य रूप से एसकेएमसीएच के पूर्व अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र कुमार, सेवानिवृत्त चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. रविंद्र नाथ शर्मा, बढ़ई विश्वकर्मा संघ के जिलाध्यक्ष दिनेश शर्मा, महेश कुमार शर्मा, वेद प्रकाश उर्फ पवन शर्मा, पूर्व मुखिया पति प्रमोद कुमार शर्मा, तरुण कुमार शर्मा, संजीत कुमार शर्मा रामनाथ शर्मा प्रभाकर शर्मा, रंजीत कुमार शर्मा, गरीब नाथ शर्मा,
सत्य नारायण शर्मा (अधिवक्ता), सत्याचरण शर्मा, डॉ. तारकेश्वर शर्मा, राजीव शर्मा, संजय शर्मा, मिथिलेश कुमार शर्मा आदि थे।