खबरें बिहार

नवरात्र मे दुर्गा सप्तशती का पाठ उत्तम फलदाई होता है:आचार्य सुजीत शास्त्री

–लेकिन पाठ करते समय इन बातो का रखें ध्यान

मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। नवरात्र के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से अन्न, धन, यश, कीर्ति,आयु, आरोग्यता आदि की प्राप्ति होती है। लेकिन सप्तशती का पाठ करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पाठ से पहले उत्किलन,शाप विमोचन, कवच, कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ फिर न्यास विनियोग सहित नवार्ण मंत्र का जप करें।इसके बाद ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।आचार्य सुजीत शास्त्री मिठ्ठू बाबा ने कहा कि इस तरह पाठ करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। पाठ समझकर और शब्दों का मतलब जानते हुए करना चाहिए। बिना अर्थ समझे हुए सप्तशती के मंत्रों का पाठ नहीं करना चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि सप्तशती को हाथ में लेकर पाठ न करे।दुर्गा सप्तशती का पाठ बहुत धीमे-धीमे पाठ न करें और न ही तेज स्वर में पाठ करना चाहिए। ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता है। सप्तशती का पाठ हमेशा मध्यम स्वर मे स्पष्ट शब्दों में करना चाहिए। बहुत से लोग गा-गा कर पाठ करते हैं, कुछ लोग शीघ्रता में पढ़ते हैं,तो कुछ सिर हिलाकर पढ़ते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। पाठ को हमेशा समझकर करना चाहिए। क्योंकि अर्थ जाने बिना पढ़ना तथा शब्दों को दबाकर पाठ पढ़ने को शास्त्रों में निषेध बताया गया है। सही शब्दों और स्वर का प्रयोग करने से मां भगवती की विशेष कृपा प्राप्ति होती है।पाठ का अध्याय समाप्त होने पर इति, वध और समाप्त जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं है। इति शब्द का प्रयोग करने से धन-धान्य में कमी आती है। वध शब्द के उच्चारण से कुल वृद्धि में बाधा आती है और समाप्त शब्द का प्रयोग करने से आरोग्य में कमी आती है। पाठ करने के दौरान बीच में नहीं रुकना चाहिए, पूरा पाठ करने के बाद ही उठें। अगर किसी कारण वश बीच में उठ गए हैं तो फिर से दुर्गा सप्तशती के पाठ की शुरुआत करें। अगर एक बार में पूरे 13 अध्याय नहीं पढ़ पा रहे हैं तो एक बार में केवल एक चरित्र का पाठ करें। दुर्गा सप्तशती में प्रथम,मध्यम और उत्तम तीन चरित्र हैं, अगर संपुर्ण पाठ ना हो सके तो आप एक बार में एक चरित्र का पाठ कर सकते हैं। अध्याय समाप्त होने पर इति, वध और समाप्त जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं माना गया है।इति शब्द का प्रयोग करने से धन-धान्य में कमी आती है।वध शब्द के उच्चारण से कुल वृद्धि में बाधा आती है और समाप्त शब्द का प्रयोग करने से आरोग्य में कमी आती है।तेरहवे अध्याय के बाद पुन: न्यास नवार्ण जप,तीनो रहस्य का मानसिक पाठ, सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम् के बाद क्षमा प्रार्थना कर लेना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *