मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। श्रावण की सातवीं सोमवारी के दिन नागपंचमी का पड़ना दुर्लभ संयोग माना जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाओं को व्रत का दोहरा पुण्य प्राप्त होगा। मान्यता है कि इसी दुर्लभ संयोग पर माता पार्वती ने व्रत रखकर भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। इस दिन के व्रत से शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सोमवारी पर पति की लंबी आयु एवं संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही नाग पंचमी होने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। आचार्य सुजीत शास्त्री (मिठ्ठू बाबा) ने बताया कि 21 अगस्त को सावन मास की सातवीं सोमवारी है।इसी दिन चित्रा नक्षत्र के शुभ संयोग में नागपंचमी भी मनाई जाएगी। मान्यता है कि श्रावण माह में सोमवार के दिन नागपंचमी हो तो भगवान भोलेनाथ का पूजन व रुद्राभिषेक कालसर्प दोष से शांति देता है। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें नागपंचमी के दिन गायत्री मंत्र का 21 हजार जप करने एवं दशांश हवन के बाद कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
आचार्य अवधेश पांडेय ने बताया कि जिसकी कुण्डली में राहु केतु से लग्न लग्नेश का संबंध बन रहा है ,वो जातक भी नाग या छाया दोष से पीड़ित होते हैं, नागपंचमी पर चाँदी या आटे के नाग को पान के पत्ते पर रखकर पूजन करें और जल में प्रवाहित कर दें।