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चंडी यज्ञ से प्रसन्न रहती माता दुर्गा, आती आसपास समृद्धि

— सहस्त्र चंडी महायज्ञ में पहुंचे सांसद अजय निषाद, टेका माथा, मंडप परिक्रमा कर की हवन
मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। सोमनाथपुरी, कोल्हुआ पैगंबरपुर एनएच 77 दरभंगा रोड रेलवे ढाला मुजफ्फरपुर, में श्री श्री 1008 सहस्र चंडी महायज्ञ के चौथेे दिन हवन व मंडप परिक्रमा के लिए भीड उमडी। सांसद अजय निषाद यज्ञ स्थल पर पहुंचे तथा मंडप परिक्रमा कर हवन किया। आचार्यों ने उनको अंगवस्त्र व प्रसाद देकर आर्शीवाद दिया। सांसद ने कहा कि वह जिलावासियों के आपसी एकजुटता, शांति व समृद्धि की कामना मातारानी से किए है। आयोजन के लिए ग्रामीणों व यज्ञ आचार्य पंडित विनय पाठक,  अध्यक्ष मुखिया अनिल चौबे, संयोजक अधिवक्ता अरूण पाण्डेय के प्रति आभार जताते हुए कहा कि बिना समाज के सहयोग के महायज्ञ नहीं हो सकता। यज्ञाचार्य बाबा गरीबनाथ धाम के प्रधान पुजारी सह मंदिर प्रशासक पंडित विनय पाठक ने बताया कि दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ विधि को पूर्ण किया जाता है उसे चंडी यज्ञ बोला जाता है। शतचंडी यज्ञ को सनातन धर्म में बेहद शक्तिशाली वर्णित किया गया है। इस यज्ञ के बाद मनुष्य खुद को एक आनंदित वातावरण में महसूस कर सकता है।  यज्ञाध्यक्ष मुखिया अनिल कुमार चौबे ने कहा कि महायज्ञ में मंडप परिक्रमा करने से धार्मिक स्थलों तीर्थों की परिक्रमा करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है
चाणक्य विद्यापति सोसाइटी के संरक्षक पंडित शंभू नाथचौबे ने बताया कि महायज्ञ में मात्र शामिल हो जाने एवं सहयोग करने से सभी प्रकार के मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस यज्ञ में हर दिन आम से लेकर खास लोग आ रहे तथा पुण्य के भागी हो रहे है।बनारस से आए हुए 51 आचार्यों के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दुर्गासप्सती का पाठ किया जा रहा है।
पूतना वध देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
वृंदावन से आए हुए रासलीला कमेटी के प्रमुख रास मृदुल शास्त्री ने बताया कि आज भगवान कृष्ण कन्हैया के द्वारा पूतना वध का मंचन हुआ। महायज्ञ में आए हुए भक्तों ने भगवान कृष्ण कन्हैया के द्वारा पूतना वध का प्रसंग देखकर भक्त भावविभोर हो गए। यहां धनवंत पांडेय, रामनवमी शास्त्री, आचार्य आशुतोष मिश्रा, पंडित राम कुमार मिश्रा, आचार्य हरे कृष्ण तिवारी,मीडिया प्रभारी  पंडित हरिशंकर पाठक,वैदिक यीशु पांडे, आचार्य विवेक पाठक आचार्य अमित तिवारी आचार्य विकास पांडे , आचार्य आवेश त्रिवेदी, आचार्य अनुज तिवारी, आचार्य प्रियांश मिश्रा ने स्वर पाठ किया।

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