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डॉ अनंत मोहन दास की पुण्यतिथि पर प्रतिनिधि काव्य संग्रह ‘खुले वातायन से’ का हुआ लोकार्पण

–डॉ प्रियंवदा दास की काव्य कृति ‘शब्द शब्दातीत हैं’ का भी हुआ लोकार्पण
–‘ खुले मन के कवि थे अनंत मोहन दास’  विषय-प्रस्तावना में कहा डॉ संजय पंकज ने
मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। ‘ खुले वातायन से – की कविताएं कवि के उद्दाम अनुभव का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं। इनमें विचारों का तंत्र है पर उलझन नहीं है, मानवीय समस्याओं की चिंता है पर भीतर एक दृढ़ विश्वास झांक रहा है। इन कविताओं में स्मृति चित्रों की कलात्मक बंदिश है जो अत्यंत प्राणवान और रचनात्मक हैं, जो छूती और झकझोरती हैं’ – ये बातें कवि डॉ अनंत मोहन दास की प्रतिनिधि कविताओं के संग्रह ‘खुले वातायन से’ तथा डॉ प्रियंवदा दास की कविता पुस्तक  ‘शब्द शब्दातीत हैं’ के मुजफ्फरपुर क्लब में लोकार्पण समारोह में   मुख्य अतिथि तथा संग्रह के संपादक डॉ महेंद्र मधुकर ने कही। प्रतिनिधि कविताओं के इस संकलन पर आगे बोलते हुए डॉ मधुकर ने कहा कि अनंत मोहन दास की कविताएं जीवन के अनेक उतार-चढ़ाव की साक्षी हैं। इनमें एक प्रबुद्ध मन का गहरा आत्ममंथन और चित्त की द्रवित संवेदना किसी निर्झर की तरह फूटती हुई दिखाई देती है। डॉ प्रियंवदा दास की कविताएं मन की बंद परतों को खोलती हैं।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ रिपुसूदन श्रीवास्तव ने कहा कि डॉक्टर दास जितने अच्छे चिकित्सक थे उतने ही अच्छे कवि भी थे। उनकी कविताएं जीवन के अनेक रूपों को प्रस्तुत करती हैं। वे प्रकृति से संवाद करते थे और खूब लिखते थे। उनकी कविताओं में भावों की विविधताएं हैं।
अपने बीज वक्तव्य में संचालक कवि गीतकार डॉ संजय पंकज ने कहा कि ये दोनों संग्रह प्रकृति, प्रेम और जीवन के साथ सकारात्मक संवाद करते हैं। खुले मन के कवि डॉ अनंत मोहन दास की कविताएं जहां शांति, करुणा और अध्यात्म की ओर ले जाती हैं वहीं डॉ प्रियंवदा दास की कविताएं परिवार, समाज और समय के चित्रों को दिखलाती हैं। दोनों कृतियों के मूल में गहरी मानवीय संवेदना और जीवन मूल्य केंद्रित हैं। मुख्य वक्ता ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त विभागाध्यक्ष डॉ प्रभाकर पाठक ने कहा कि प्रियंवदा दास की कविताएं युगीन संगतियों- विसंगतियों और विरोधाभासों को समेटती हुईं कहीं पुरानेपन को नया अंदाज और ताजगी की त्वरा देती हैं तो कहीं नएपन के खोखले पन पर खुली चोट भी करती हैं। कविताओं की लोकधर्मिता, पारिवारिकता, सामाजिकता, सौहार्द और प्रेम अच्छी तरह बांधता है। कवयित्री का भावपक्ष प्रबल और कलापक्ष संतुलित। डॉ अनंत मोहनदास कविताओं से अनेक जलते हुए सवालों का समुचित उत्तर देते हैं। चितरंजन सिन्हा कनक ने कहा कि यह दोनों संग्रह कई अर्थों में विशिष्ट और महत्वपूर्ण हैं। डॉ पूनम सिंह ने संग्रह की कई कविताओं का पाठ करते हुए कहा कि मानवीय संकट और मूल्य विघटन के दौर में ये कविताएं जीवन के प्रति विश्वास जगाती हैं। डॉ आनंद मोहन दास की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित समारोह में डॉ प्रियम्वदा दास ने अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि डॉ अनंत मोहनदास अपने छात्र जीवन से ही कविताएं लिख रहे थे। उनकी कविताओं में जीवन अनुभव हैं। उन्होंने कहीं से भी भावों को आयातित नहीं किया है। अपनी अच्छी बुरी अनुभूतियों को उन्होंने शब्दों का रूप दिया है। डॉ सम्यक दास ने अतिथियों का स्वागत बुके, स्मृति चिन्ह और शॉल से किया तथा धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में परिवार की कई पीढ़ियों की काव्यात्मक भावनाओं तथा श्रद्धांजलि संदेश का पाठ किया।
लोकार्पण समारोह में डॉ टी के झा, डॉ वीरेंद्र किशोर, डॉ एच एन भारद्वाज, डॉ पुष्पा गुप्ता, हरि किशोर प्रसाद, प्रेमकुमार, वीरेंद्र किशोर मल्लिक आदि शताधिक लोगों की गरिमामयी उपस्थिति थी। डॉक्टर दास के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ ही उपस्थित प्रबुद्ध जनों ने उनके जीवन सफर को वीडियो क्लिप के रूप में भी देखा। आयोजन के दूसरे सत्र में डॉ ए एम दास मेमोरियल ट्रस्ट की वार्षिक गतिविधियों का संक्षिप्त वार्षिक रिपोर्ट प्रभात दास फाउंडेशन के समन्वयक मुकेश झा ने प्रस्तुत किया। शांति पाठ के साथ समारोह संपन्न हुआ।

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