मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। अनंत-अक्षय-फलदायक कहा जाता है। जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं। इस दिन जिनका बिवाह होता है उनका सौभाग्य अखंड रहता है। इस दिन महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए भी विशेष अनुष्ठान होता है तथा यथाशक्ति दान करना चाहिए। जिससे अक्षय पुण्य मिलता है। इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इस दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। आचार्य सुजीत शास्त्री (मिट्ठू बाबा) ने कहा कि समस्त शुभ कार्यों के अलावा प्रमुख रूप से शादी, कुछ खरीदने, नया सामान, गृह प्रवेश, पदभार ग्रहण, वाहन क्रय, भूमि पूजन तथा नया व्यापार प्रारंभ कर सकते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सतयुग एवं त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में भगवान परशुराम, नर-नारायण एवं हयग्रीव आदि तीन अवतार अक्षय तृतीया के दिन ही पृथ्वी पर आए। तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के पट भी अक्षय तृतीया को खुलते हैं। वृंदावन के बांके बिहारी के चरण दर्शन केवल अक्षय तृतीया को होते हैं। वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है, उसमें प्रमुख स्थान अक्षय तृतीया का है। यह हैं- चैत्र शुक्ल गुड़ी पड़वा, वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया, आश्विन शुक्ल विजयादशमी तथा दीपावली की पड़वा का आधा दिन। इसीलिए इन्हें वर्ष भर के साढ़े तीन मुहूर्त भी कहा जाता है।अत: इस दिन सभी शुभ कार्यों को करने से उत्तम फल प्राप्त होता है।अक्षय तृतीया सबो के लिए शुभद सुखद एवं मंगलमय हो।
