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“स्वराज्य पर्व” में ‘जल-स्वराज्य’ और जलपुरुष डॉ. राजेन्द्र सिंह की पुस्तक ‘सभ्यता की सूखती सरिता’ पर केन्द्रित राष्ट्रीय परिचर्चा एवं लोकमान्य तिलक के जीवन और संवादों पर आधारित नाट्य मंचन का भव्य कार्यक्रम का होगा आयोजन

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास, दिल्ली आगामी 28 मई, 2023 को मुजफ्फरपुर के शहीद खुदीराम बोस स्टेडियम में भारतीय स्वराज्य के प्रणेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की स्मृति में “स्वराज्य पर्व” का अतिभव्य और ऐतिहासिक आयोजन कर रहा है। 15 अप्रैल, 2023 को मुजफ्फरपुर के सर्किट हाउस के कदाने-बूढ़ी गंडक सभागार में आयोजित एक प्रेसवार्ता में यह घोषणा करते हुए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास, दिल्ली के अध्यक्ष एवं जाने-माने समाजसेवी-संस्कृतिकर्मी नीरज कुमार ने कहा कि ‘स्वराज्य पर्व’ के इस आयोजन का उद्देश्य लोकमान्य तिलक के भारतीय स्वराज्य के लिये किये गये महान संघर्ष की विरासत एवं भारत के चतुर्दिक उत्थान से सम्बन्धित उनके बहुमूल्य विचारों के बारे में न केवल लोगों की जागरूकता बढ़ाना है, बल्कि बिहार और विशेष रूप से मुजफ्फरपुर के साथ लोकमान्य के गहरे सम्बन्ध की याद भी ताज़ा करना है। न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार के अनुसार “स्वराज्य पर्व” के इस आयोजन के अन्तर्गत प्रमुख रूप से ‘जल-स्वराज्य’ तथा जलक्षेत्र के नोबेल स्टॉकहोम जल-पुरस्कार एवं प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित आदरणीय जलपुरुष डॉ. राजेन्द्र सिंह जी की पुस्तक ‘सभ्यता की सूखती सरिता’ पर केन्द्रित एक राष्ट्रीय स्तर की परिचर्चा के साथ-साथ लोकमान्य तिलक के व्यक्तित्व एवं समग्र योगदान पर आधारित भव्य नाट्य मंचन किया जायेगा, जिसे पुणे, महाराष्ट्र के सुपरिचित लेखक श्री काजी मुश्ताक अहमद ने लिखा है, और जिसका निर्देशन लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल मुम्बई के ख्यातनाम नाट्य-निर्देशक श्री मुजीब खान ने किया है। उन्होंने बताया कि समारोह में लोकमान्य तिलक पर केन्द्रित महत्वपूर्ण “स्वराज्य” स्मारिका का विमोचन भी होगा।
प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए नीरज कुमार ने कहा कि विश्वप्रसिद्ध नदी पुनर्जीवनकर्ता और पर्यावरणविद आदरणीय जलपुरुष डॉ. राजेन्द्र सिंह जी इस ‘स्वराज्य पर्व’ के आयोजन में शामिल हो रहे हैं। उनके साथ-साथ इस आयोजन में देश भर से कई साहित्यकारों और इतिहासकारों के भी शामिल होने की सूचना प्राप्त हो रही है। नीरज कुमार ने कहा कि बिहार के  राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर जी के भी इस आयोजन में भाग लेने की पूरी संभावना है। उन्होंने बताया कि वे हाल ही में मुजफ्फरपुर में आयोजित होने वाले ‘स्वराज्य पर्व’ को लेकर पटना के राजभवन में माननीय राज्यपाल महोदय से मिले थे और इस अवसर पर बातचीत में माननीय राज्यपाल महोदय ने मुजफ्फरपुर में लोकमान्य तिलक की स्मृति में “स्वराज्य पर्व” के आयोजन को लेकर गहरी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मुजफ्फरपुर के साथ लोकमान्य तिलक जी का बहुत आत्मीय सम्बन्ध रहा है, और यह सम्बन्ध मुजफ्फरपुर के साथ-साथ पूरे बिहार के लिये भी सदा गौरव का विषय बना रहेगा। राज्यपाल महोदय ने लोकमान्य तिलक की स्मृति में शहीद खुदीराम बोस स्टेडियम में आयोजित किये जा रहे ‘स्वराज्य पर्व’ को एक अत्यंत सार्थक पहल बताते हुए कहा कि इससे न केवल मुजफ्फरपुर के अमर शहीद खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी के लोकमान्य तिलक के साथ गहरे आत्मीय एवं वैचारिक सम्बन्ध से लोगों का परिचय बढ़ेगा, बल्कि यह लोकमान्य तिलक की विरासत के प्रति प्रदेश एवं देशवासियों के अन्तर्मन में सम्मान का भाव भी जगायेगा, जिसकी आज बहुत आवश्यकता महसूस होती है।
राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने प्रेसवार्ता में उपस्थिति पत्रकारों एवं मीडियाकर्मियों को जानकारी देते हुए बताया कि मुजफ्फरपुर में आयोजित होने जा रहे ‘स्वराज्य पर्व’ पर चर्चा के उद्देश्य से आज आयोजन समिति के सदस्यों ने मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी प्रणव कुमार से भी मुलाक़ात की, जिन्होंने ‘स्वराज्य पर्व’ को लेकर आयोजकों तथा मुजफ्फरपुर के निवासियों को  बधाई दी और कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर होगा जब लोकमान्य तिलक की विरासत को उस स्थान पर याद करने, संजोने तथा आगे बढ़ाने का प्रयास हो रहा है, जहां से उन्हें विशेष लगाव था। जिलाधिकारी महोदय ने आयोजकों को हर संभव सहयोग करने का वचन भी दिया है।
ज्ञातव्य है कि मुजफ्फरपुर के साथ लोकमान्य तिलक का अत्यंत गहरा नाता रहा है। 30 अप्रैल, 1908 को बंगाल विभाजन का विरोध करते हुए खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने यहीं पर कोलकाता के मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट डगलस किंग्सफोर्ड पर बम फेंका था। इस घटना की प्रतिक्रिया में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा किये जा रहे अत्याचारों की बेहद कड़ी आलोचना करते हुए तिलक जी ने अपनी चिर-परिचित आक्रामक भाषा में ‘केसरी’ में दो लेख लिखे थे, जिसके कारण उन्हें राजद्रोह का दोषी ठहराया गया और छह साल के लिये कालेपानी की सज़ा के तहत मांडले जेल भेज दिया गया। बर्मा के मांडले जेल की अत्यंत यातनामय परिस्थितियों में ही लोकमान्य तिलक ने ‘श्रीमद्भगवद्गीतारहस्य अर्थात् कर्मयोगशास्त्र’ जैसे युगांतरकारी महत्व के ऐतिहासिक ग्रंथ की रचना की थी, जो स्वाधीनता आन्दोलन के दौर से लेकर आज तक करोड़ों देशवासियों का पथ-प्रदर्शन करता रहा है।
इस प्रेसवार्ता में उपस्थित मुजफ्फरपुर के प्रसिद्ध कवि, समाजसेवी और ‘स्वराज्य पर्व’ आयोजन के संयोजक  संजय पंकज ने लोकमान्य तिलक और बिहार के सम्बंधों की चर्चा करते हुए कहा कि शहीद खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने यदि मुजफ्फरपुर बम कांड को अंजाम नहीं दिया होता, तो न तिलक जी पर राजद्रोह का मुकदमा दायर होता, न उनके द्वारा राजद्रोह के काले कानून को कठघरे में खड़ा किया जाता, न तिलक जी को कालेपानी की सज़ा के तहत बर्मा के मांडले जेल के कारावास में यातनामय छह साल बिताने पड़ते, और न ही विश्व मानवता को ‘श्रीमद्भगवद्गीतारहस्य अर्थात् कर्मयोगशास्त्र” जैसा अद्भुत और अकल्पनीय ग्रन्थ ही मिल पाता, जिसने भारतीय स्वराज्य के लिये संघर्षरत नेतृत्व और अवाम के भीतर एक नये युगबोध और सर्वथा नवीन चेतना का संचार किया था।

 संजय पंकज  ने कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति न्यास द्वारा आगामी 28 मई, 2023 को मुजफ्फरपुर में आयोजित किये जाने वाले “स्वराज्य पर्व” का मुख्य उद्देश्य जहां एक तरफ़ लोकमान्य तिलक के अभूतपूर्व राष्ट्रनायकत्व एवं स्वराज्य के लिये उनके अथक संघर्ष में मुजफ्फरपुर की ऐतिहासिक भूमिका की पहचान करने का प्रयास करना है, वहीं लोकमान्य तिलक के व्यक्तित्व एवं विचारों की रोशनी में आज की चुनौतियों से पार पाने के रास्तों की खोज करना भी है। लोकमान्य तिलक जैसे हमारे राष्ट्रनायकों ने और शहीद खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी जैसे हमारे वीर शहीदों ने जिस सांस्कृतिक और समृद्ध भारत का सपना देखा था, उसे स्मरण रखना और उसको साकार करने के लिये प्राणपण से जुट जाना हमारा एक साझा दायित्व है, जिसे आगे बढ़ कर हमें पूरा करना होगा।

इस प्रेसवार्ता में मुजफ्फरपुर के प्रसिद्ध समाजसेवी और राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति न्यास द्वारा आयोजित होने जा रहे ‘स्वराज्य पर्व’ के स्थानीय सह-संयोजक अविनाश तिरंगा उर्फ़ ऑक्सीजन बाबा ने आयोजन को लेकर ज़ोर-शोर से चल रही तैयारियों के बारे में प्रेस एवं मीडिया के प्रतिनिधियों के सवालों के जवाब दिये तथा यह भरोसा भी जताया कि मुजफ्फरपुर के साहित्यप्रेमी, संस्कृतिप्रेमी और कलाप्रेमी लोग बड़ी संख्या में इस आयोजन में भाग लेंगे। दिनकर स्मृति न्यास की आज की इस प्रेसवार्ता में शहर के कई प्रमुख साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें मुकेश त्रिपाठी,  रघुनंदन प्रसाद सिंह उर्फ अमर बाबू,  विभेष त्रिवेदी, सुगंध कुमार, महेश प्रसाद चौधरी, श्री महंथ मृत्युंजय दास, श्री डब्लू चौधरी,  रजनीश कुमार, प्रोफेसर श्री राकेश मिश्र,  राजेश कुमार, अखिलेश राय,  कुमार विरल, प्रेम भूषण,  प्रभाष कुमार, सुनील गुप्ता एवं उज्वल कुमार के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ये सभी ‘स्वराज्य पर्व’ की आयोजन समिति के सदस्य हैं।

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