मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी रविवार को मनाया जाएगा । रविवार को तिल और खिचड़ी ग्रहण करने को लेकर श्रद्धालुओं के बीच भ्रम की स्थिति है। इस संबंध में आचार्य सुजीत शास्त्री (मिट्ठू बाबा) कहते हैं कि पर्व होता है तब इन चीजों का विचार नहीं होता, ना ही दोष लगता है पर्व को विशेष परिस्थिति मानते हुए तिल और खिचड़ी का भोग लगाया जा सकता है।प्रश्न ये आ रहा है की रविवार को तिल दान या स्पर्श करें की नही! तो ऐसे समझे की (वार से बड़ा त्योहार )होता है।
पंडित सूरज शास्त्री कहते हैं कि लोकाचार के अनुसार काला तिल रविवार को ग्रहण करना वर्जित होता है। लेकिन धार्मिक और वैदिक ग्रंथों में तिल खाने का कोई जिक्र नहीं मिलता। वे सुझाव देते हैं कि काला की जगह श्रद्धालु सफेद तिल का प्रयोग कर सकते हैं।
*ज्यादा दान का है महत्व*: पंडित विद्याभूषण द्विवेदी (भोला जी) कहते हैं कि मकर संक्रांति में खाने से ज्यादा पुण्यकाल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और दान का महत्व है। नदियों में स्नान के बाद अन्न, वस्त्र ,कंबल, तिल इत्यादि दान कर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। मिट्ठू बाबा ने ये भी बताया कि इस वर्ष सूर्य की मकर राशि में प्रवेश सुकमा योग में हो रहा है। इसे बेहद शुभ माना जाता है। 14 जनवरी को रात मे 2.53 बजे धनु राशि से मकर राशि में सूर्य प्रवेश कर रहे हैं। 15 जनवरी रविवार को सूर्योदय के समय सूर्य मकर राशि में उदय होंगे।