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होलिका दहन आज की रात होली मंगलवार को

मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। इस साल होलिका दहन आज रविवार को रात्रि (10:28के बाद) तथा रंगों का पर्व होली 26 मार्च मंगलवार को मनाई जाएगी। आचार्य सुजीत शास्त्री (मिट्ठू बाबा) ने बताया कि इस वर्ष होली को लेकर लोगों में काफी संशय बनी हुई है। इन सभी संशयों को दूर करते हुए मिट्ठू बाबा ने कहा कि इस वर्ष होली 26 मार्च मंगलवार को मनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि काशी की परंपरा के अनुसार  हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष के उदय युक्त प्रतिपदा तिथि को होली का त्यौहार मनाया जाता।शास्त्रों में होलिका दहन के बारे में बताया गया है कि पूर्णिमा की तिथि हो, रात्रि की बेला रहे, और भद्रा की समाप्ति हो, इन तीनों के साथ रहने पर होलिका दहन किया जाता है। इस वर्ष 24 मार्च रविवार को पूर्णिमा तिथि दिन में 9:30 से प्रारंभ होगी जो संपूर्ण दिन रात रहेगी। भद्रा दिन में 9:23 से रात्रि 10:28 तक रहेगा।इसकेे कारण रविवार 24 मार्च को रात्रि 10:28 के बाद संपूर्ण रात्रि होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रहेगा। सोमवार 25 मार्च सोमवार को भी दिन में पूर्णिमा तिथि होने के कारण अगले दिन मंगलवार 26 मार्च को होली होगी। मिट्ठू बाबा ने बताया कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष का उदया तिथि 26 मार्च मंगलवार को होगी और होली चैत्र माह में मनाई जाती है। होली को लेकर मिट्ठू बाबा ने कहा कि प्रहलाद एवं होलिका की कहानी तो सभी लोग जानते हैं लेकिन शिवापुराण के अनुसार हिमालय की पुत्री पार्वती शिव से विवाह हेतु कठोर तपस्या कर रही थी और शिव भी तपस्या में लीन थे। इंद्र का भी शिव- पार्वती विवाह में स्वार्थ छिपा था कि तारकासुर का वध शिव-पार्वती के पुत्र द्वारा होना था। इसी वजह से इंद्र आदि देवताओं ने कामदेव को शिवाजीकी तपस्या भंग करने भेजा। भगवान शिव की समाधि को भंग करने के लिए कामदेव ने शिव पर अपने पुष्प वाण से प्रहार किया था। उस्मान से शिवाके मांमें प्रेम और काम का संचार होने के कारण उनकी समाधि भंग हो गई। इससे शिवजी ने अपना तीसरा नेत्र खोल कामदेव को भस्म कर दिया। शिव जीकी तपस्या भंग होने के बाद देवताओं ने शिव जी को पार्वती से विवाह के लिए राजी कर लिया। कामदेव की पत्नी रति को अपने पति के पुनर्जीवन का वरदान और शिव जी का पार्वती से विवाह का प्रस्ताव स्वीकार करने की खुशी में देवताओं ने इस दिन को उत्सव की तरह मनाया। इस प्रसंग के आधार पर काम की भावना को प्रतीकात्मक रूप से जलाकर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।

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