मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार) बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है कि राज्य भर के तमाम डिग्री कॉलेजों में इंटर (11वीं) की पढ़ाई कर रहे छात्र अब 12 वीं की पढ़ाई कॉलेज में नहीं कर पाएंगे, उन्हें 12 वीं की पढ़ाई के लिए OFSS के जरिए +2 स्कूलों में ऑनलाइन आवेदन कर नामांकन लेना होगा।
शिक्षा विभाग के उक्त आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एआईडीएसओ के बिहार राज्य सचिव विजय कुमार ने कहा कि कॉलेज में इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रहे छात्र- छात्राओं को बीच सत्र में ही राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा अचानक स्कूलों में स्थानांतरण हेतु दिया गया आदेश पूरी तरह से अलोकतांत्रिक ही नहीं बल्कि गैर जरुरी भी है। 12वीं में जिन छात्रों को बोर्ड की परीक्षा देनी है उनको पढ़ाई छोड़कर नामांकन की प्रक्रिया में अस्त- व्यस्त होना पड़ेगा। वहीं +2 स्कूलों में अध्ययन- अध्यापन की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में शिक्षा विभाग के इस तुगलकी फरमान के कारण छात्रों में काफी रोष है और राज्य के विभिन्न कॉलेजों में प्रदर्शन के रुप में यह गुस्सा फूट रहा है। वास्तव में यह केंद्र सरकार द्वारा लाई गई विनाशकारी नई शिक्षा नीति- 2020 का ही एक हिस्सा है, जिसमें 10 वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा को खत्म करने के साथ ही शिक्षा का संपूर्ण निजीकरण- व्यापारीकरण, साम्प्रदायिकरण एवं केंद्रीकरण की साजिश है।
हम छात्र संगठन एआईडीएसओ की ओर से शिक्षा विभाग द्वारा अचानक 12 वीं के कॉलेज छात्रों को स्कूलों में नामांकन कराने के निर्णय का कड़े शब्दों में विरोध करते है और राज्य सरकार से मांग करते है कि जो छात्र जिस कॉलेज में दाखिला ले चुके हैं उन्हें उस कॉलेज में इंटरमीडिएट के पूरे सत्र की पढ़ाई करने दी जाए। और +2 स्कूलों में इंटर की पढ़ाई शुरु करने के लिए सभी रिक्त पदों पर शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति सहित सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए।