मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। महागठबंधन में शामिल होकर बिहार के विकास पुरुष ने भी अब तुष्टिकरण की राह पकड़ ली है। उक्त बातें गिरिराज सिंह फैंस क्लब के संरक्षक देवांशु किशोर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि भेद-भाव रहित राजनीत का दावा करने वाले नीतीश कुमार मुस्लिम पर्व पर छुट्टियों की वर्षा कर रहे हैं तो वही हिंदुओं के कई पर्वों पर छुट्टियों के लाले पड़ गए हैं।
शिक्षा विभाग की ओर से 27 नवंबर को जारी छुट्टियों की सूची में महागठबंधन की सरकार का मुस्लिम प्रेम छलकने लगा है। हिंदुओं को पहले से दी जाने वाली छुट्टियों में कटौती की तलवार चली। पिछले दिनों रक्षाबंधन की छूटी को रद्द कर दिया गया था। अब जो 2024 के लिए छुट्टियों का कैलेंडर जारी किया गया उसमें हिंदुओं के हिस्से में कई पर्व के दिन छुट्टियां की कटौती तो दिखी, लेकिन मुस्लिम पर्वों की कई छुट्टियां में इजाफा किया गया है। शिक्षा विभाग ने श्री कृष्णा और श्री राम तक को भुला दिया।
मगर, तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली और अल्पसंख्यकों का ख्याल रखने वाली महागठबंधन की सरकार ने ईद पर 3 दिन, बकरीद पर 3 दिन, मोहर्रम पर 2 दिन की छुट्टी, लेकिन हिंदुओं के पर्व तीज, जितिया रक्षाबंधन,जन्माष्टमी, रामनवमी, शिवरात्रि, तीज, वसंत पंचमी और जितिया की छुट्टियां खत्म कर दी गई है। 1 मई मजदूर दिवस और 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर भी छुट्टी रद्द कर दी गई है।
साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार में पहली बार हिंदुओं और मुसलमानों के लिए छुट्टियों बांट दी गईं हैं। यह संभव हुआ है उर्दू और गैर उर्दू स्कूलों के लिए अलग-अलग कैंलेंडर जारी करने के चलते। दरअसल उर्दू स्कूलों में पढ़ने वाले 99 परसेंट छात्र मुस्लिम ही होते हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि यह फैसला समाज को बांटने वाला है। बीजेपी ने बिहार सरकार के फैसले को तुगलकी फरमान बताया है। मुस्लिम समुदाय के लिए रामनवमी, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, तीज और वसंत पंचमी की छुट्टियों को कैंसल कर दिया गया है। इसके एवज में ईद और बकरीद की छुट्टियों को 3-3 दिन का कर दिया गया है। इससे अच्छा तो यही होता कि नीतीश सरकार बिहार को इस्लामिक स्टेट ऑफ बिहार घोषत कर दे। इस बीच बिहार सरकार के इस फैसले में नीतीश कुमार की एक और तुष्टिकरण भरी चाल नजर आई है। वह है गांधी जयंती की छुट्टी को कैंसल करना और आंबेडकर जयंती की छुट्टी जारी रखना। अब बिहार सरकार ने भी महात्मा गांधी को प्रदेश निकाला करार दिया है। पहले आम आदमी पार्टी ने पंजाब और दिल्ली के सरकारी कार्यालयों से राष्ट्रपिता को हटाकर आंबेडकर को जगह दी थी, अब बिहार सरकार ने गांधी जयंती की छुट्टी खत्म कर कुछ ऐसा ही संदेश दिया है। बिहार सरकार ने उर्दू स्कूलों और गैर उर्दू स्कूलों के लिए दोनों ही के लिए गांधी जयंती की छुट्टी कैंसल करने का सीधा संदेश है कि राष्ट्रपिता बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के लिए फिट नहीं बैठ रहे हैं।
श्री किशोर ने कहा कि बिहार सरकार ने सरकारी स्कूलों में होने वाली छूटियों में संशोधन नहीं किया, तो हिंदू हितों को ध्यान में रखते हुए जिला से लेकर प्रदेश तक आंदोलन किया जाएगा और वर्तमान सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।