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आलोकित ज्ञानसाधिका बीके रानी दीदी: संजय पंकज

मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। बिहार -झारखंड की आध्यात्मिक चेतना को बलवती करती हुई उसे उत्कर्ष देने वाली निरंतर आलोकित ज्ञानसाधिका का नाम है बीके रानी दीदी।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की वरिष्ठ राजयोगिनी तपस्विनी और साधिका रानी दीदी बिहार -झारखंड की जोनल इंचार्ज की हैसियत से मुख्य संचालिका और प्रशासक हैं। भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति के वर्ष 1947 की शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन शैलपुत्री-सी दृढ़ता लेकर अवतरित होने वाली रानी दीदी ने इस विश्वविद्यालय के संस्थापक ब्रह्मा बाबा का स्नेह और ज्ञान अपनी जिस छोटी उम्र में प्राप्त किया उसे ही आज अपने बीके भाइयों-बहनों के बीच समर्पित भाव से बांटती -उड़ेलती रहती हैं। इनकी स्नेहमयी पालना में समर्पित साधकों की कई पीढ़ियां तैयार हुई हैं जो आज संसार भर में फैले हुए केंद्रों में कहीं न कहीं पूरी निष्ठा से अपनी सेवा दे रही हैं।
         हर दिन ब्रह्म मुहूर्त (अमृतवेला) से शुरू हुई इनकी दिनचर्या रात्रि के 11:00 बजे जाकर कल की तैयारी के साथ सिमटती है। साहस, संकल्प और जीवट की धनी रानी दीदी सकारात्मक भाव से सदा भरी रहती हैं और सबके लिए शुभ तथा मंगलमय सोचती और करती हैं। हर थके हुए को अपनी मधुर मुस्कान से ऊर्जा प्रदान करने वाली, संघर्ष और पीड़ा से टूटे हुए उदास व्यक्तित्व को ज्ञान से तेजवान करने वाली, तनाव और अशांति के भंवर में फंसे हुए हर जन को अपने स्नेहामृत से अभिसिंचित करने वाली रानी दीदी जैसे उनके जीवन के दुःख दर्दों का हरण करने और उन्हें उनके यथार्थ का बोध कराने के लिए ही सदा तत्पर बैठी हों इसी भाव से हर आने वाले को वे पूरे स्नेह-सम्मान के साथ आलोकित करती हैं।
यहां आने वाले हर क्षेत्र के लोग हैं जो आते हैं और एक अभिभावक, गुरु तथा साधिका रानी दीदी से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करके अपने जीवन को सुखमय करने के लिए वापस लौटते हैं तो उनके भीतर समाज के लिए शुभ सोचने और करने का संकल्प होता है।
दृढ़ इच्छा शक्ति से आलोकित होने वाली रानी दीदी ने मुजफ्फरपुर-पटना मुख्य मार्ग पर बारिसपुर- भगवानपुर के पास 10 एकड़ में ‘शांति शक्ति सरोवर’ के निर्माण का जो संकल्प लिया। वह आज तेजी से आकार ग्रहण करता हुआ सबके आकर्षण का केंद्र बन गया है। समाज, राष्ट्र और प्रकृति के लिए विश्व बंधुत्व की अवधारणा के साथ लगातार कार्यक्रमों को अभियान के रूप में चलाने वाली ऐसी दिव्य विभूति को पाकर मुजफ्फरपुर सर्वाधिक धन्य है और लाभान्वित होता हुआ यह जनपद तथा प्रांत गौरवान्वित हो रहा है।
          आमगोला स्थित सुख-शांति भवन आध्यात्मिक साधना का वह केंद्र है जहां सेवा का अद्भुत आत्मीय वातावरण हमेशा बना रहता है। सांसारिक संघर्षों और नकारात्मक भावों से परेशान लोग यहां आते हैं और दीदी का स्नेह सानिध्य प्राप्त करके उनके अमृतमय प्रेरक वचनों से जीवन-संजीवनी प्राप्त करके स्वयं को जानते-समझते हुए आशा से भरकर लौटते हैं। भजन, प्रेरक वचन और ध्यान योग से साधक स्वयं को सुदृढ़ करते हुए परम शांति की अनुभूति  के साथ आत्म साक्षात्कार करते हैं।
अपने जीवन के 76वें वर्ष में प्रवेश करने वाली बीके रानी दीदी अपनी हर थकान को अपने अगले संकल्प और शुभ भावों से दूर भगाती हैं और नई ऊर्जा तथा ताजगी से भरी हुई सदा देदीप्यमान रहती हैं।

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