मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। श्राद्ध हमारे पूर्वजों की याद में अच्छे कर्म करने का माध्यम है।आचार्य सुजीत शास्त्री (मिठ्ठू बाबा) ने कहा कि यह केवल एक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि पूरी श्रद्धा के साथ अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के दिन है।भले ही हमारे पितृ भौतिक रुप से नहीं हैं, लेकिन सूक्ष्म रूप में वे ना केवल हमारे साथ हैं, बल्कि उनका आशीर्वाद भी हमारे साथ है।
मिठ्ठू बाबा ने कहा कि पितृ पक्ष मे पितरों के नाम पर जो भी कुछ दान किया जाता है कि वह स्वर्गवासी हो चुके पूर्वजों की आत्मा को मिलता है। श्राद्ध करने के लिए मनुस्मृति और ब्रह्मवैवर्त पुराण जैसे शास्त्रों में बताया गया है कि दिवंगत पितरों के परिवार में पुत्र और अगर पुत्र न हो तो नाती, भतीजा, भांजा या शिष्य ही तिलांजलि और पिंडदान देने के पात्र होते हैं।कई ऐसे पितर भी होते है जिनके पुत्र संतान नहीं होती है या फिर जो संतान हीन होते हैं। ऐसे पितरों के प्रति आदर पूर्वक अगर उनके भाई भतीजे, भांजे या अन्य चाचा ताउ के परिवार के पुरूष सदस्य पितृपक्ष में श्रद्धापूर्वक तर्पण, पिंडदान, अन्नदान और वस्त्रदान करते है तो पितर की आत्मा को मोक्ष मिलता है। और करने वाले को पितृदोष से मुक्ति, घर परिवार मे धन धान्य, सुख ऐश्वर्य एवं वंशवृद्धि होती है।