मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। रक्षाबंधन का त्योहार बहुत नजदीक आ रहा है लेकिन अभी भी बहुत लोगों के मन में संशय की स्थिति बनी हुई है कि रक्षाबंधन 30 अगस्त को करें या 31 अगस्त को। इस संशय को दूर करते हुए आचार्य सुजीत शास्त्री(मिठ्ठू बाबा)ने कहा कि 30 तारीख को दिन में ही पूर्णिमा तिथि 10.12 से आरंभ होगी लेकिन भद्रा रात्रि में 8.58 तक रहेगा। जिसमें रक्षाबंधन शास्त्र के अनुसार वर्जित है। 31 तारीख गुरुवार को पूर्णिमा तिथि सुबह 7:45 तक है जिसमें भद्रा भी नहीं है, इसलिए 31 अगस्त गुरुवार को ही रक्षाबंधन सुबह 7:45 तक सर्व श्रेष्ठ होगा। वैसे उदया तिथि पूर्णिमा होने से संपूर्ण दिन रक्षाबंधन किया जाएगा।
आचार्य सुजीत शास्त्री ने रक्षाबंधन के त्यौहार के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु राजा बलि के साथ पाताल लोक में रहने चले गए ,तब देवी लक्ष्मी चिंतित हो उठी। पति को वापस लाने के लिए नारद जी ने देवी लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को राखी बांधकर भाई बना लीजिए और वरदान के रूप में भगवान विष्णु को मांग लीजिए। देवी लक्ष्मी ने भेस बदल कर राजा बलि को राखी बांधी और विष्णु जी को मांग लिया। संजोग से उसे दिन श्रावण पूर्णिमा थी। ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई-बहन का पवित्र पर्व रक्षाबंधन मनाया जाने लगा। कहते हैं की सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने हीं राखी बांधने की शुरुआत की थी। तब से भाई बहन का अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।