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प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही के हत्या का मुख्य सरगना मंटू शर्मा अपने गुर्गे गोविंद संग गिरफ्तार

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही और उनके तीन बॉडीगार्ड की गोली मारकर हत्या मामले में बिहार STF ने बड़ी कार्रवाई की है। तमिलनाडु के रामेश्वरम से मर्डर की साजिश रचने वाले कुख्यात अपराधी प्रद्युम्न शर्मा उर्फ मंटू शर्मा और वारदात में शामिल उसके साथी अपराधी गोविंद कुमार शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है।

इन दोनों को STF की टीम ने उस वक्त पकड़ा जब बुधवार की शाम रामेश्वरम में बीच पर घूम रहे थे। इन दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर गुरुवार को तमिलनाडु से बिहार लाया जाएगा। साथ ही मुजफ्फरपुर के कोर्ट में दोनों को पेश किया जाएगा।
आशुतोष शाही और उनके दो बॉडीगार्ड निजामुद्दीन और राहुल पर अपराधियों ने 21 जुलाई को ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इसमें आशुतोष शाही की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि, इलाज के दौरान दोनों बॉडीगार्ड की मौत हुई थी। तीसरे गार्ड की पटना में इलाज के दौरान बुधवार की मौत हो गई थी। वारदात के बाद मुजफ्फरपुर की पुलिस इस केस की जांच में जुटी थी। फिर पुलिस मुख्यालय ने CID को इस केस का जिम्मा सौंप दिया।
साथ ही अलग से बिहार STF की टीम को भी लगाया गया। सूत्रों के अनुसार STF की टीम लगातार इनके मूवमेंट पर नजर रख रही थी। पुलिस को चकमा देने के लिए बार-बार अपना लोकेशन बदल रहे थे। वारदात के बाद ये दोनों पहले बिहार से दिल्ली भागे थे। फिर वहां से मुंबई गए। इसके बाद चेन्नई पहुंचे। फिर वहां से बेंगलुरु होते हुए रामेश्वरम पहुंचे। जहां से दोनों पकड़े गए।
पुलिस और जांच में जुटी दूसरे एजेंसियों को चकमा देने के लिए मंटू शर्मा और गोविंद पूरी तैयारी के साथ निकले थे। सूत्रों के अनुसार मंटू शर्मा और गोविंद के पास एक्स्ट्रा सिम कार्ड मिले हैं। जिसका इस्तेमाल दोनों बदल-बदल कर कर रहे थे। ताकि, पुलिस या STF उनके मोबाइल का टावर लोकेशन के डिटेल्स जान नहीं पाए। बावजूद इसके इनकी शातिरगिरी नहीं चल पाई। अंत में दोनों पकड़े ही गए।

मंटू शर्मा सारण जिले के परसा थाना के तहत बहलोलपुर का रहने वाला है। जबकि, गोविंद कुमार शर्मा मुजफ्फरपुर के मनिहारी थाना के तहत सितौल गजपती का रहने वाला है। इन दोनों के खिलाफ इस हत्याकांड में मुजफ्फरपुर टाउन थाना में IPC की धारा 302/307/379/120 (B), 34 और 27 आर्म्स एक्ट के तहत FIR नंबर 614/23 दर्ज किया गया था।

इस केस में और भी अपराधी शामिल हैं। जो फरार चल रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है। कुख्यात प्रदुमन शर्मा उर्फ मंटू शर्मा के उपर मुजफ्फरपुर और पटना समेत के अलग-अलग थानों में हत्या और रंगदारी 15 केस पहले से दर्ज हैं। जबकि, गोविन्द कुमार शर्मा पर मुजफ्फरपुर थानों में हत्या व रंगदारी के पहले से 5 केस दर्ज हैं।

मंटू शर्मा मूल रूप से छपरा जिले के बहलोलपुर का रहने वाला है। वह भुटकुन शुक्ला का साथी था। उसकी हत्या के बाद मंटू शर्मा अपराध की दुनिया में उतर गया। उस समय पटना में रहकर पढ़ाई करता था और उसकी उम्र 17 साल की थी।

इसने वैशाली के एक बाहुबली का शागिर्द रहते एके-47 समेत कई हथियारों को चलाने के गुर सीखे। आका के मारे जाने के बाद टेंडरवार शुरू कर दिया। मुजफ्फरपुर में बड़े ठेकेदारों में शुमार रामनरेश शर्मा की हत्या करने के बाद सीपीडब्ल्यूडी के ठेकों पर उसका एकाधिकार हो गया।

मुजफ्फरपुर से राजधानी पटना तक गिरोह ने खासकर सीपीडब्लूडी (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग) के टेंडर पर दबदबा कायम कर लिया था। डेढ़ दशक पहले पुनाईचक स्थित सीपीडब्लूडी के ऑफिस में पूर्व कांग्रेसी सांसद के भतीजे गुल्लू साहू की हत्या करने के अलावा ठेकेदार बसंत सिंह समेत कई अन्य वारदातों में शंभू-मंटू आरोपित हैं।

सीपीडब्लूडी के टेंडर पर शंभू-मंटू गैंग ने एकछत्र बादशाहत कायम कर रखी थी। बीते दो दशक में इनके आदेश के बिना कोई भी ठेकेदार टेंडर डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। जो ठेकेदार टेंडर में शामिल होने की कोशिश करता था, उस पर ये अत्याधुनिक हथियारों से गोलियों की बरसात करते थे। दरअसल, सरगनाओं ने सीपीडब्लूडी महकमे में भी सेंध लगा रखी थी। कई इंजीनियर व अन्य अफसरों से लेकर निचले स्तर के कर्मियों से नजदीकी करके शंभू टेंडर मैनेज करता था।

ठेका दिलाने के बदले गिरोह ठेका की कुल राशि का 5 प्रतिशत कमीशन (रंगदारी) वसूलता था। वहीं, 7 से 10 प्रतिशत राशि विभाग में नजराना दी जाती थी। बिहार छोड़ने के बाद वर्ष 2012 तक मंटू अपने खासमखास राजीव व कुछ अन्य साथियों के जरिए ठेका मैनेज कर अपने ग्रुप के ठेकेदारों को दिलवाता था।

इसके बदले मंटू को वाराणसी या लखनऊ में कमीशन दी जाती थी। कमीशन की राशि राजीव ही पहुंचाता था। एक दशक पहले एसटीएफ पीछे पड़ी तो शंभू और मंटू ने यूपी में नया ठिकाना बनाया आैर रंगदारी की काली कमाई से चार राज्यों में आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर लिया।

मुजफ्फरपुर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात में रियल एस्टेट में करोड़ों का पूंजी निवेश कर रखा है। सूत्रों के मुताबिक खासकर यूपी में ट्रांसपोर्ट के कारोबार में भी मंटू शामिल है।

मंटू शर्मा ने लखनऊ, देहरादून व सहारनपुर के बीच आलीशान कोठी बना रखी है। मंटू ने नेपाल में रेशम के कारोबार में भी पूंजी लगाई है। पहले सरगना का खास पप्पू काठमांडू में रेशम कारोबार देखता है।

2004 में जब मंटू बिहार से बाहर रहने लगा तो पप्पू के पास ही गिरोह की सारी कमाई पहुंचती थी। फिर पप्पू के माध्यम से ही मंटू को पैसा पहुंचता था। पप्पू से पहले गिरोह की कमाई सीतामढ़ी के नसीम अंसारी के पास पहुंचती थी।

सूत्रों के मुताबिक शुरुआती दिनों की कमाई की अधिकांश राशि नसीम ने जाली नोट के धंधे में लगाई और इस कारोबार का वह डॉन बन गया। दिल्ली में जाली नोट के साथ पकड़ा गया नसीम तिहाड़ जेल भी भेजा गया था। तब उसकी खोज केंद्रीय खुफिया एजेंसी तक कर रही थी।

प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही हत्याकांड में गैंगस्टर मंटू शर्मा, शूटर गोविंद, ओंकार, प्रॉपर्टी डीलर विक्कू शुक्ला, पूर्व वार्ड पार्षद शेरू अहमद और गोली से जख्मी अधिवक्ता कासिम हुसैन उर्फ डॉलर काे नामजद किया गया है। साजिश रचने में अधिवक्ता और पूर्व पार्षद की भी संलिप्तता बताई गई है।

आशुतोष शाही की पत्नी दीपांदीता के बयान पर नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। आशुतोष शाही की हत्या की दो मुख्य वजह एफआईआर में बताई गई है। पहली वजह मिठनपुरा के प्रॉपर्टी डीलर बिजेंद्र कुमार से रंगदारी की डिमांड में आशुतोष शाही का गवाह बनना और दूसरी वजह कल्याणी स्थित मछली मंडी की जमीन को लेकर चल रहा षड्यंत्र।

मुजफ्फरपुर में प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही और उनके तीन बॉडीगार्ड की गोली मारकर हत्या मामले में बिहार STF ने बड़ी कार्रवाई की है। तमिलनाडु के रामेश्वरम से मर्डर की साजिश रचने वाले कुख्यात अपराधी प्रद्युम्न शर्मा उर्फ मंटू शर्मा और वारदात में शामिल उसके साथी अपराधी गोविंद कुमार शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है।

इन दोनों को STF की टीम ने उस वक्त पकड़ा जब बुधवार की शाम रामेश्वरम में बीच पर घूम रहे थे। इन दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर गुरुवार को तमिलनाडु से बिहार लाया जाएगा। साथ ही मुजफ्फरपुर के कोर्ट में दोनों को पेश किया जाएगा। 

आशुतोष शाही और उनके दो बॉडीगार्ड निजामुद्दीन और राहुल पर अपराधियों ने 21 जुलाई को ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इसमें आशुतोष शाही की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि, इलाज के दौरान दोनों बॉडीगार्ड की मौत हुई थी। तीसरे गार्ड की पटना में इलाज के दौरान बुधवार की मौत हो गई थी। वारदात के बाद मुजफ्फरपुर की पुलिस इस केस की जांच में जुटी थी। फिर पुलिस मुख्यालय ने CID को इस केस का जिम्मा सौंप दिया।

मंटू शर्मा : गैंग का सरगना। प्रॉपर्टी डीलर से रंगदारी के मामले में जेल जाना पड़ा था।
मंटू शर्मा : गैंग का सरगना। प्रॉपर्टी डीलर से रंगदारी के मामले में जेल जाना पड़ा था।

साथ ही अलग से बिहार STF की टीम को भी लगाया गया। सूत्रों के अनुसार STF की टीम लगातार इनके मूवमेंट पर नजर रख रही थी। पुलिस को चकमा देने के लिए बार-बार अपना लोकेशन बदल रहे थे। वारदात के बाद ये दोनों पहले बिहार से दिल्ली भागे थे। फिर वहां से मुंबई गए। इसके बाद चेन्नई पहुंचे। फिर वहां से बेंगलुरु होते हुए रामेश्वरम पहुंचे। जहां से दोनों पकड़े गए।

पुलिस और जांच में जुटी दूसरे एजेंसियों को चकमा देने के लिए मंटू शर्मा और गोविंद पूरी तैयारी के साथ निकले थे। सूत्रों के अनुसार मंटू शर्मा और गोविंद के पास एक्स्ट्रा सिम कार्ड मिले हैं। जिसका इस्तेमाल दोनों बदल-बदल कर कर रहे थे। ताकि, पुलिस या STF उनके मोबाइल का टावर लोकेशन के डिटेल्स जान नहीं पाए। बावजूद इसके इनकी शातिरगिरी नहीं चल पाई। अंत में दोनों पकड़े ही गए।

मंटू शर्मा सारण जिले के परसा थाना के तहत बहलोलपुर का रहने वाला है। जबकि, गोविंद कुमार शर्मा मुजफ्फरपुर के मनिहारी थाना के तहत सितौल गजपती का रहने वाला है। इन दोनों के खिलाफ इस हत्याकांड में मुजफ्फरपुर टाउन थाना में IPC की धारा 302/307/379/120 (B), 34 और 27 आर्म्स एक्ट के तहत FIR नंबर 614/23 दर्ज किया गया था।

इस केस में और भी अपराधी शामिल हैं। जो फरार चल रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है। कुख्यात प्रदुमन शर्मा उर्फ मंटू शर्मा के उपर मुजफ्फरपुर और पटना समेत के अलग-अलग थानों में हत्या और रंगदारी 15 केस पहले से दर्ज हैं। जबकि, गोविन्द कुमार शर्मा पर मुजफ्फरपुर थानों में हत्या व रंगदारी के पहले से 5 केस दर्ज हैं।

मंटू शर्मा मूल रूप से छपरा जिले के बहलोलपुर का रहने वाला है। वह भुटकुन शुक्ला का साथी था। उसकी हत्या के बाद मंटू शर्मा अपराध की दुनिया में उतर गया। उस समय पटना में रहकर पढ़ाई करता था और उसकी उम्र 17 साल की थी।

इसने वैशाली के एक बाहुबली का शागिर्द रहते एके-47 समेत कई हथियारों को चलाने के गुर सीखे। आका के मारे जाने के बाद टेंडरवार शुरू कर दिया। मुजफ्फरपुर में बड़े ठेकेदारों में शुमार रामनरेश शर्मा की हत्या करने के बाद सीपीडब्ल्यूडी के ठेकों पर उसका एकाधिकार हो गया।

मुजफ्फरपुर से राजधानी पटना तक गिरोह ने खासकर सीपीडब्लूडी (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग) के टेंडर पर दबदबा कायम कर लिया था। डेढ़ दशक पहले पुनाईचक स्थित सीपीडब्लूडी के ऑफिस में पूर्व कांग्रेसी सांसद के भतीजे गुल्लू साहू की हत्या करने के अलावा ठेकेदार बसंत सिंह समेत कई अन्य वारदातों में शंभू-मंटू आरोपित हैं।

टेंडर मैनेज करने में मंटू शर्मा था मास्टर
सीपीडब्लूडी के टेंडर पर शंभू-मंटू गैंग ने एकछत्र बादशाहत कायम कर रखी थी। बीते दो दशक में इनके आदेश के बिना कोई भी ठेकेदार टेंडर डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। जो ठेकेदार टेंडर में शामिल होने की कोशिश करता था, उस पर ये अत्याधुनिक हथियारों से गोलियों की बरसात करते थे। दरअसल, सरगनाओं ने सीपीडब्लूडी महकमे में भी सेंध लगा रखी थी। कई इंजीनियर व अन्य अफसरों से लेकर निचले स्तर के कर्मियों से नजदीकी करके शंभू टेंडर मैनेज करता था।

ठेका दिलाने के बदले गिरोह ठेका की कुल राशि का 5 प्रतिशत कमीशन (रंगदारी) वसूलता था। वहीं, 7 से 10 प्रतिशत राशि विभाग में नजराना दी जाती थी। बिहार छोड़ने के बाद वर्ष 2012 तक मंटू अपने खासमखास राजीव व कुछ अन्य साथियों के जरिए ठेका मैनेज कर अपने ग्रुप के ठेकेदारों को दिलवाता था।

इसके बदले मंटू को वाराणसी या लखनऊ में कमीशन दी जाती थी। कमीशन की राशि राजीव ही पहुंचाता था। एक दशक पहले एसटीएफ पीछे पड़ी तो शंभू और मंटू ने यूपी में नया ठिकाना बनाया आैर रंगदारी की काली कमाई से चार राज्यों में आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर लिया।

मुजफ्फरपुर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात में रियल एस्टेट में करोड़ों का पूंजी निवेश कर रखा है। सूत्रों के मुताबिक खासकर यूपी में ट्रांसपोर्ट के कारोबार में भी मंटू शामिल है।

मंटू शर्मा ने लखनऊ, देहरादून व सहारनपुर के बीच आलीशान कोठी बना रखी है। मंटू ने नेपाल में रेशम के कारोबार में भी पूंजी लगाई है। पहले सरगना का खास पप्पू काठमांडू में रेशम कारोबार देखता है।

2004 में जब मंटू बिहार से बाहर रहने लगा तो पप्पू के पास ही गिरोह की सारी कमाई पहुंचती थी। फिर पप्पू के माध्यम से ही मंटू को पैसा पहुंचता था। पप्पू से पहले गिरोह की कमाई सीतामढ़ी के नसीम अंसारी के पास पहुंचती थी।

सूत्रों के मुताबिक शुरुआती दिनों की कमाई की अधिकांश राशि नसीम ने जाली नोट के धंधे में लगाई और इस कारोबार का वह डॉन बन गया। दिल्ली में जाली नोट के साथ पकड़ा गया नसीम तिहाड़ जेल भी भेजा गया था। तब उसकी खोज केंद्रीय खुफिया एजेंसी तक कर रही थी।

प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही हत्याकांड में गैंगस्टर मंटू शर्मा, शूटर गोविंद, ओंकार, प्रॉपर्टी डीलर विक्कू शुक्ला, पूर्व वार्ड पार्षद शेरू अहमद और गोली से जख्मी अधिवक्ता कासिम हुसैन उर्फ डॉलर काे नामजद किया गया है। साजिश रचने में अधिवक्ता और पूर्व पार्षद की भी संलिप्तता बताई गई है।

आशुतोष शाही की पत्नी दीपांदीता के बयान पर नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। आशुतोष शाही की हत्या की दो मुख्य वजह एफआईआर में बताई गई है। पहली वजह मिठनपुरा के प्रॉपर्टी डीलर बिजेंद्र कुमार से रंगदारी की डिमांड में आशुतोष शाही का गवाह बनना और दूसरी वजह कल्याणी स्थित मछली मंडी की जमीन को लेकर चल रहा षड्यंत्र।

एफआईआर में आशुतोष शाही की पत्नी दीपांदीता ने बताया है कि 15 साल से पति प्रॉपर्टी डीलिंग का काम कर रहे थे। कुछ अपराधी पति और अन्य लोगों से रंगदारी की मांग करते थे। पति इसका विरोध करते थे। कुछ माह पहले उनके मोहल्ला नंद विहार कॉलोनी के विजेंद्र कुमार ने बेला थाना क्षेत्र में जमीन खरीदी थी। बिजेंद्र से मनियारी थाना के गजपति के गोविंद कुमार, बेगूसराय के मझौल रणंजय ओंकार सिंह (वर्तमान में मिठनपुरा में किराएदार) और सारण के बहलोलपुर थाना के परसा निवासी मंटू शर्मा ने उनके घर आकर 50 लाख रुपए रंगदारी की डिमांड की थी।

दीपांदीता के अनुसार, बिजेंद्र ने मिठनपुरा थाना में केस कराया था। इसमें आशुतोष शाही गवाह थे। कुछ माह पहले कल्याणी स्थित मछली मंडी की जमीन को भी इन अपराधियों के साथ विक्रांत कुमार शुक्ला उर्फ विक्कू शुक्ला और नगर थाना के चांदकोठी इमामगंज निवासी पूर्व वार्ड पार्षद शेरू अहमद जबरदस्ती कम पैसे में खरीदना चाहते थे।

 

इस जमीन को उचित दाम देकर पति ने खरीद लिया था। मंटू शर्मा गिरोह का सरगना है। पति ने मुझे व करीबियों को बताया था कि दोनों जमीन विवाद को लेकर मंटू शर्मा एवं उसके गैंग के अपराधी उनकी जान के दुश्मन बन गए हैं, जो कभी भी उनकी हत्या करवा सकते हैं। इस आशंका से निजी गार्ड के साथ बुलेट प्रूफ गाड़ी में चलते थे।

21 जुलाई की शाम पति के मोबाइल पर बार-बार किसी का फोन आ रहा था। उस फोन पर 9 बजे पति तीन निजी सुरक्षा गार्ड और चालक के साथ अपनी स्कॉर्पियो से निकले थे। रात 22:30 बजे मुझे फोन पर सूचना मिली कि लकड़ीढाही मारवाड़ी हाई स्कूल के पास अधिवक्ता कासिम हुसैन उर्फ डॉलर के घर पर अपराधियों ने पति और तीनों निजी गार्ड को गोली मार दी है।

इसमें पति की मौके पर ही मृत्यु हो गई है। उसी रात दो निजी गार्ड उत्तर प्रदेश के एटा जिला के जघरा थाना के नगला मोहन निवासी राहुल कुमार और मऊ जिला के मधुबन थाना के साबित जवाहरपुर निवासी निजामुद्दीन की भी मौत हो गई।

दीपांदीता ने बताया है कि अपराधियों की गोलीबारी में घायल वकील ने एक बड़ी साजिश व सोची-समझी रणनीति के तहत हत्या करवाने की नीयत से पति को अपने घर बुलाया था। अपराधी हत्या करने के बाद पति के निजी गार्ड निजामुद्दीन की लाइसेंसी रिवॉल्वर और मोबाइल भी लेकर चले गए।

अपराधी मंटू शर्मा, गोविंद कुमार, रणंजय ओंकार सिंह, विक्रांत कुमार शुक्ला उर्फ विक्कू शुक्ला, वकील कासिम हुसैन उर्फ डॉलर और शेरू अहमद ने सुनियोजित षडयंत्र के तहत पति को घटनास्थल पर बुलाकर घटना को अंजाम दिया है। घटना के सभी पहलुओं की जांच कर अपराधियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।

आशुतोष शाही के साथ साथ उनके दो बॉडीगार्ड निजामुद्दीन और राहुल की पहले ही मौत हो गई थी। इसके बाद तीसरे बॉडी गार्ड ओंकार और वकील डॉलर का पटना के अस्पताल में 22 जुलाई से इलाज चला रहा था। इसके बाद सोमवार को ओंकार की मौत हो गई है।

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