मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। मिठनपुरा स्थित मंजुल प्रिया के सभाकक्ष में प्रसिद्ध गीतकार डॉ महेंद्र मधुकर के नए उपन्यास मैत्रेयी का मृणाल कला मंच, मदर टेरेसा विद्यापीठ, नवसंचेतन, प्रस्तावना के तत्वावधान में आत्मीय लोकार्पण संपन्न हुआ। विषय प्रवेश में डॉ संजय पंकज ने कहा कि इस उपन्यास में पौराणिक कई ऐसे संदर्भ हैं जो आज भी समीचीन हैं। इक्कीसवीं सदी की प्रासंगिकता से जोड़ कर इस कृति को देखा जाना चाहिए।इसमें अलग-अलग पीढ़ियों का परिवर्तन ,विसंगतियां और मूल्य विघटन तथा संघर्षों के साथ-साथ स्त्री मुक्ति की कथा है जिसमें सड़ी गली रूढ़ियों को तोड़ा गया है। भाषा की रोचकता में बहुत सारी उक्तियां और सूक्तियां हैं जो जीवन विकास के लिए सूत्र के रूप में संबल प्रदान करती हैं। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ रिपुसूदन श्रीवास्तव ने लोकार्पण करते हुए कहा कि यह उपन्यास उपनिषद से जुड़ा हुआ है और उपनिषद तात्विक विवेचन है। इसी आधार पर इसकी कथा बुनी गई है।
बिहार विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ सुधा कुमारी ने कहा कि पौराणिक पात्रों को आधुनिकता के रंग में संशोधित करके मधुकर जी ने समयानुकूल बनाया है। संवादों की कसावट और संप्रेषणीयता देखने योग्य हैं। स्त्री चेतना का मुखर रूप कात्यायनी है तो मैत्रेयी आत्मज्ञान और ब्रह्म ज्ञान की दिशा में अग्रसर है। डॉ पूनम सिंह ने कहा कि समर्थ गीतकार जब उपन्यास लेखन में उतरता है तो भाषा में गीत- संवेदना संयुक्त होती है। दो स्त्री चरित्र के बीच यह उपन्यास भौतिकता और आध्यात्मिकता की संतुलित व्याख्या और प्रस्वीकृति है। डॉ विजय शंकर मिश्र ने कहा कि जीवन संघर्ष और आत्मज्ञान से भरा हुआ यह उपन्यास भाषा और संवाद की दृष्टि से भी सार्थक और महत्वपूर्ण है। डॉ महेंद्र मधुकर ने अपने भावोद्गार में कहा कि इस उपन्यास के कई पात्र पौराणिक हैं तो कई पात्र काल्पनिक हैं।कथा की रोचकता और विकास के लिए लेखक इतनी छूट लेता है। हमारी उम्मीद है कि पाठकों को यह उपन्यास रुचिकर और सामयिक लगेगा। उद्गार व्यक्त करने वालों में डॉ पुष्पा गुप्ता, डॉ मृणालिनी, डॉ लोकनाथ मिश्र, डॉ वीरमणि राय, अविनाश चौधरी, सतीश कुमार झा, रामवृक्ष चकपुरी, डॉ वीणावादिनी, शिवानी आदि विशेष रहे। लोकार्पण के अवसर पर मिलन कुमार, मानस दास, मौली दास, आरती कुमारी आदि की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही। स्वागत एवं विषय प्रवेश डॉ संजय पंकज, संचालन डॉ विजय शंकर मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनीति मिश्र ने किया। साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए डॉ मृणालिनी को लोकार्पण उत्सव में अंग वस्त्र , पुष्पगुच्छ और पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया गया।