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मानव तस्करी मानवाधिकार के लिए चुनौती :- एस. के. झा

मुजफ्फरपुर(जनमन भारत संवाददाता)। जिले के मड़वन प्रखंड के रक्सा गाँव में मानवाधिकार जनकल्याण सुरक्षा समिति द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें ‘मानव तस्करी और मानवाधिकार’ विषय पर परिचर्चा की गयी। मुख्य वक्ता मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने कहा कि मानव तस्करी विश्व में एक गंभीर व संवेदनशील समस्या बनकर उभर रही है, जो मानवाधिकार के लिए चुनौती है। मादक पदार्थों व हथियारों की तस्करी के बाद मानव तस्करी दुनिया में सबसे बड़ा संगठित अपराध है। किसी व्यक्ति को बल प्रयोग कर, डराकर, धोखा देकर, हिंसक तरीकों से भर्ती करना, तस्करी या फिर बंधक बना कर रखना, तस्करी के अंतर्गत आता है। इसमें पीड़ित व्यक्ति से देह व्यापार, घरेलू काम तथा गुलामी इत्यादि के कार्य उसकी इच्छा के विरुद्ध करवाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 23 (1) मानव तस्करी और ज़बरन श्रम पर रोक लगाता है। अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956 व्यावसायिक यौन शोषण के लिये मानव तस्करी को दंडित करता है। बंधुआ मज़दूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976 और किशोर न्याय अधिनियम के माध्यम से बंधुआ एवं ज़बरन श्रम को प्रतिबंधित किया गया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (A) और 367 क्रमशः नाबालिगों के अपहरण और वेश्यावृत्ति पर रोक लगाती हैं।
परिचर्चा की अध्यक्षता त्रिवेणी राय ने किया एवं मंच संचालन मुकेश कुमार कौशल द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन हरिशंकर यादव द्वारा किया गया। मौके पर अखिलेश झा, मो. कलाम, अली राजा, नवल किशोर साह सहित बड़ी संख्या में मानवाधिकार कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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