मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। हरितालिका (तीज ) और गणेश चतुर्थी व्रत (चकचना)18 सितंबर सोमवार को एक ही दिन मनायी जायेगी,महिलायेंअपने सौभाग्य को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए एवं कन्यायें भावी जीवन में सुखी दांपत्य जीवन को प्राप्त करने के लिए इस व्रत पर्व को तपस्या की भांति पूर्ण करती है।वही महाराष्ट्र का प्रसिद्ध पर्व गणेश उत्सव गणेश चतुर्थी 19 सितंबर मंगलवार को मनायी जायेगी।
आचार्य सुजीत शास्त्री (मिट्ठू बाबा) ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका का व्रत किया जाता है। जो इस बार 18सितंबर सोमवार को हरितालिका (तीज) का व्रत है। यह व्रत अपने संतान और पति के लम्बी आयु एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए किया जाता है। हरितालिका व्रत कुंवारी व विवाहित महिलाओं द्वारा यह व्रत माता गौरी एवं भगवान भोले नाथ की पूजा आराधना के साथ रखा जाता है। सोमवार को गौरीशंकर की पूजन के लिए श्रेष्ठ दिन है.इस बार तीज का पर्व अत्यंत ही शुभ संयोग में मनाई जायेगी ।
सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग की लम्बी आयु की कामना से हरितालिका तृतीया यानी तीज व्रत करती हैं ।इसमें महिलाएँ अन्न, जल ग्रहण किये बिना पूरे श्रद्धापूर्वक यह व्रत रखती हैं । पुराणों के अनुसार इस व्रत को देवी पार्वती ने किया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें भगवान शंकर की प्राप्ति हुई थी। इस दिन पूजन, अर्चन के साथ मां पार्वती की कथा भी सुनती हैं, जिसमें देवी पार्वती के त्याग, धैर्य एवं एकनिष्ठ पतिव्रत की भावना को जानकर उनका मन विभोर हो उठता है । इस दिन मुख्य रूप से शिव- पार्वती और मंगलकारी गणेश जी की पूजा- अर्चना करने का विधान है ।
।। पूजन विधि।।
आचार्य मिट्ठू बाबा बताया कि इस दिन सुबह उठकर स्नान करें. पूजा के स्थान पर जाकर भगवान शिव के साथ माता पार्वती गणेश, नंदी सहित सपरिवार की प्रतिमा बनाकर स्थापित करें ऐसा करने के बाद गंगाजल और दूध चढ़ाएं।
बिल्व पत्र शंकर जी को बहुत प्रिय हैं, बिल्व अर्पण करने पर शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं, और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
शिवलिंग पर धतूरा, भांग, मलयागिरि चंदन, चावल चढ़ाएं और सभी को तिलक लगाएं, पुष्पों की माला अर्पित करें, हरितालिका व्रत की कथा सुने धूप, दीप से गणेश जी की आरती करें. भगवान शिव की आरती करें और सच्चे मन से उनकी पूजा-अर्चना करें. पूजा को संपन्न करने के लिए भगवान शिव को घी, शक्कर या प्रसाद का भोग लगाएं. फिर इसे परिवारजनों को बांटे और खुद भी ग्रहण करें।