मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। आप विचार-शक्ति के बल पर संसार को हिला सकते हैं। विचार में महाबल है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वह संचारित किया जा सकता है। प्राचीन युग के महर्षियोंऔर महायोगियों के शक्तिशाली विचार अब भी आकाश में सुरक्षित है।
आचार्य सुजीत शास्त्री “मिठ्ठू बाबा” ने कहा कि जिन योगियों को अगोचर वस्तुओं को देख सकने की आंतरिक शक्ति सिद्ध हुई है,वे उन विचारों के प्रतिबिंब को देख सकते हैं तथा उन्हें पढ़ सकते हैं।
आपके चारों और विचारों का सागर भरा हुआ है। आप विचार-सागर में तैर रहे हैं। आप उनमें से कुछ विचार को ग्रहण कर रहे हैं और कुछ विचार संसार में प्रत्यावर्तित कर रहे हैं। प्रत्येक का अपना-अपना विचार जगत है।
विचार जीवित पदार्थ है। कोई भी विचार उतना ही ठोस है ,जितना एक पत्थर है। हम समाप्त हो सकते हैं, पर हमारे विचार कभी नहीं मिट सकते।
विचार के प्रत्येक परिवर्तन के साथ उसके तत्व मे (मनस्तत्व मे) कंपन पैदा होता है। चुंकि विचार एक शक्ति है ,उसे कार्य करने में एक विशेष प्रकार का सूक्ष्म पदार्थ आवश्यक होताा है। विचार जितना ही बलवान होता है, उतना ही शीघ्र वह फलित होता है।वहै।ार को अमुक निश्चित दिशा में केंद्रित करते हैं तो जिस अनुपात में हम केंद्रित करते हैं उसी अनुपात में वह लक्ष्य सिद्ध करने में सफल होता है। विचार एक सूक्ष्म शक्ति है। हममें हमारे आहार के साथ यह उत्पन्न होता है।
विचार में अद्भुत शक्ति भरी है। विचार- शक्ति से रोग दूर हो सकते हैं।जिस प्रकार हम शारीरिक स्वास्थ्य रक्षा के लिए व्यायाम करते हैं।