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शीघ्र फलदायी है दस महाविद्याओं की उपासना:- आचार्य सुजीत शास्त्री

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। 19 जून से ‘गुप्त’ नवरात्र आरंभ हो रहे हैं। आचार्य सुजीत शास्त्री (मिट्ठू बाबा) ने कहा कि साल में चार नवरात्र आते हैं। माघ, चैत्र ,आषाढ़ ,और आश्विन। इनमें से माघ और आषाढ़ वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहते हैं। गुप्त नवरात्र में दश महाविद्याओं की पूजा का विधान है। यह हैं दस महाविद्याए- मां काली ,तारा ,त्रिपुरसुंदरी ,भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी ,मातंगी और कमला देवी हैं। गुप्त नवरात्रों में साधक और तांत्रिकों का देवी की आराधना करना अधिक प्रचलित है। लेकिन बहुत से गृहस्थ भी गुप्त नवरात्रों में देवी की उपासना करते हैं। त्रेता युग में यह बहुत धूमधाम से मनाया जाते थे।
 मां काली:- पहले दिन दस महाविद्याओं में प्रथम मां काली की पूजा होती है इनकी साधना से विरोधियों पर विजय प्राप्ति होती है।
 मां तारा :- ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले महर्षि वशिष्ठ ने इनकी उपासना की थी इन्हें तांत्रिकों की देवी माना गया है, इनकी उपासना से आर्थिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 मां त्रिपुर सुंदरी :- इन्हें ललिता या राज राजेश्वरी भी कहा जाता है। इनकी पूजा से धन, ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 मां भुवनेश्वरी :- इनकी साधना से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
 मां छिन्नमस्ता :- इनकी साधना से सभी चिंताएं दूर होती है और समस्त कामनाएं पूरी होती है।
 मां त्रिपुर भैरवी :- इनकी उपासना से जीवन सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है।
 मां धूमावती :- इनकी आराधना से सभी संकट दूर होते हैं। इनकी पूजा विवाहित स्त्रियां नहीं करती।
 मां बगलामुखी :- इनकी उपासना से भय से मुक्ति मिलती है और वाक् सिद्धि प्राप्त होती है।
मां मातंगी :- इनकी उपासना करने से ग्रस्त जीवन में खुशहाली आती है और परस्पर प्रेम बढ़ता है।
 मां कमला :- इनकी आराधना से धन और संतान की प्राप्ति होती है।
  मिट्ठू बाबा ने बताया कि गुप्त नवरात्र की महिमा को जन-जन तक ऋषि श्रृंगी ने पहुंचाया था। एक दिन ऋषि श्रृंगी अपने भक्तों के साथ आश्रम में बैठें धर्म चर्चा कर रहे थे। चर्चा समाप्त होने के पश्चात एक महिला उनके पास आई और दुखी होकर कहा कि उसका पति और अनीतिपूर्ण कार्य करता है। बार-बार समझाने पर भी उसमे कोई परिवर्तन नहीं आ रहा है। इस वजह से घर में कलह रहती है और पूजा-पाठ भी नहीं हो पाता है। कृपा कर कोई ऐसा उपाय बताएं ,जिससे शीघ्र ही उनके व्यसन दूर हो जाएं। तब ऋषि श्रृंगी ने उस महिला को गुप्त नवरात्रि की महिमा बताते हुए दश महाविद्याओं की उपासना करने को कहा। और कहा कि यह उपासना शीघ्र फलदायी है। इससे उसे अवश्य लाभ होगा। तभी से गृहस्थ लोगों में भी गुप्त नवरात्र  प्रचलित हुए। इस नवरात्र की साधना को गुप्त रखा जाता है इसलिए भी इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है।

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