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शरीर में नमक की कमी भी जानलेवा हो सकती है: डॉ. शशिधर श्रीनिवास

–मरीजों और डॉक्टर के बीच के संबंधों में दूरी आई है, जो दोनों के लिए बेहतर नहीं है: डॉ. देवी राम
मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। शरीर में नमक की कमी भी जानलेवा हो सकती है। इसलिए अपने शरीर में उचित मात्रा में नमक ले। क्योंकि नमक की कमी से कई प्रकार की बीमारियों का जन्म होता है और इससे आपकी जान भी जा सकती है। उक्त  बातें  बेपिकॉन (एसोसिएशन आफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया बिहार चैप्टर)-2022 द्वारा 32 वां वार्षिक अधिवेशन के दूसरे दिन शनिवार को हरियाणा के गुड़गांव से आये डॉक्टर शशिधर श्रीनिवास ने प्रेजेंटेशन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि आज के समय में विज्ञान इतना आगे बढ़ चुका है कि हम अपने शरीर का बेहतर ध्यान रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि शरीर में नमक की कमी की पहचान उल्टी, सिरदर्द, बेहोश हो जाना आदि इसके प्रमाणिक लक्षण है। इससे पहचान की जा सकती है कि आपके शरीर में नमक की कमी है। इसके लिए हम अपने किडनी को टेस्ट करवा कर जान सकते हैं कि हमारे शरीर में नमक की मात्रा कितनी है। किडनी जांच के तुरंत बाद उपचार शुरू कर देना चाहिए ताकि समय रहते हैं अपनी बीमारी पर काबू पाया जा सके।
वही गठिया को लेकर एम्स के दिल्ली एम्स की डॉक्टर प्रोफेसर उमा कुमार ने अर्थराइटिस (गठिया) पर अपना विचार रखते हुए कहा कि आज के परिवेश में युवाओं और महिलाओं में अर्थराइटिस (गठिया) सबसे ज्यादा पाया जा रहा है। गठिया सिर्फ जोड़ों का दर्द ही नहीं बल्कि गठिया लंबे अवधि तक है, तो इससे कई प्रकार की गंभीर बीमारी हो सकती है। उन्होंने कहा कि गठिया किडनी, मस्तिष्क, हार्ट आदि पर गंभीर प्रभाव डालता है। इसके अलावा कई अन्य अंगों पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है और सही ढंग से उपचार ना हो तो आपकी उम्र सीमा भी 7 से 10 साल घट जाती है। ऐसे में जरूरी है कि शुरुआती दौर में ही गठिया की पहचान करके अपने डॉक्टर से संपर्क कर उसका उचित समय पर उपचार करें ताकि गंभीर बीमारी से बचा जा सके। इसके लिए वरीय चिकित्सकों को सेमिनार और बैठकों में अपने आने वाली पीढ़ी को जागरूक करना चाहिए। चिकित्सकों को अपने मरीज से बात कर गठिया का जल्द से जल्द उपचार करना चाहिए। उन्होंने गठिया के शुरुआती लक्षणों में जोड़ों में सूजन, आंखों में लालिमा, कामकाज में तकलीफ, सुबह में आधे घंटे से ज्यादा शरीर में जकड़न आदि महसूस होता है। इसके अलावा भी चेहरे पर चक्कता आना, बालों का झड़ना, आंखों का सुख जाना आदि शामिल है।  सुबह-सुबह कमर में दर्द भी इसी के लक्षण है। इन सब लक्षणों की पहचान करके हम गठिया के प्रति लोगों को जागरूक कर सकते हैं।
पूर्णिया से आए वरिष्ठ डॉक्टर देवी राम ने कहा कि मरीजों और डॉक्टर के बीच के संबंधों में दूरी आई है, जो दोनों के लिए बेहतर नहीं है। दोनों में सामंजस्य से  नहीं हो तो नुकसान डॉक्टर और मरीज दोनों को है। ऐसे में जरूरी है कि डॉक्टर अपने मरीज से बेहतर संबंध बनाकर उनकी बीमारियों का उचित उपचार करें। इसके अलावा मरीज की सामाजिक, आर्थिक और मानसिक स्थिति को देखते हुए ही उसका उपचार किया जाए ताकि मरीज सही ढंग से अपना उपचार करा सके। उन्होंने सभी डॉक्टरों से  आग्रह किया कि अनावश्यक दवाइयों में परिवर्तन ना करें, ज्यादा दवाइयां ना लिखें और अपने मरीज से सहानुभूति रख कर उसका उपचार करें।
इसके अलावा डॉक्टर बीपी खेतान, डॉक्टर विकास भट्टाचार्य, दिल्ली से आए डॉ विपिन दुबे, डॉ आशुतोष, हैदराबाद से डॉक्टर आशुतोष कुमार, डॉ ज्योति, वाराणसी से डॉ श्याम सुंदर, डॉक्टर संतोष कुमार सिंह आदि ने भी अपने-अपने विषयों पर प्रकाश डाला और चिकित्सा जगत में हो रहे परिवर्तनों की जानकारी दी।
कार्यक्रम सचिव डॉ एके दास ने बताया कि दूसरे दिन पूरे देश के चिकित्सा जगत से जुड़े बड़े-बड़े विशेषज्ञों ने अलग-अलग चार केंद्रों पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए और चिकित्सकों के साथ मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों का मार्गदर्शन किया।  इस दौरान शहर के वरीय चिकित्सक डॉक्टर बीबी ठाकुर, डॉक्टर कमलेश तिवारी, डॉक्टर शैलेंद्र कुमार, डॉक्टर अकील अहमद मुमताज, डॉक्टर आरोही कुमार, डॉक्टर नवीन कुमार, डॉक्टर नवनीत समेत बड़ी संख्या में चिकित्सक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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