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डायबिटीज को नए तरीके से उपचार करके बीमारी को 90% तक ठीक किया जा सकता है: डॉ. नीलाक्षी डेका

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। बेपिकॉन-2022 के दूसरे दिन वरिष्ठ डॉक्टरों ने सभी  विषयों पर अपनी अपनी राय रखी। जिसमें असम के गुवाहाटी से आई डॉक्टर निलाक्षी डेका ने कहा कि डायबिटीज को नए तरीके से उपचार करके बीमारी को 90% तक ठीक किया जा सकता है। नई चिकित्सा पद्धति से इन बीमारियों को जेनेरिक दवाओं के माध्यम से आसानी से उपचार किया जा सकता है। इससे मरीजों को आर्थिक रूप से कम बोझ पड़ता है। इसलिए आधुनिक विज्ञान में सभी बीमारियों का सहज उपचार संभव है।

वही गया से आए डॉ मृत्युंजय कुमार सिंह ने पोटेशियम की कमी को लेकर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि पोटेशियम की कमी से हार्ड अटैक, नस का कमजोर होना, मांस का कमजोर हो जाना आदि होता है। ऐसे में आम मरीजों के लिए यह जरूरी है कि वह समुचित भोजन करें और अपने शरीर में हो रहे पोटेशियम की कमी को दूर कर स्वस्थ जीवन  जीये। ऐसा जरूरी नहीं है कि पोटेशियम की कमी सिर्फ उचित खानपान नहीं लेने के कारण होती है बल्कि कई दफा अनुवांशिक कारणों से, किडनी के खराब होने आदि से भी संभव है। लेकिन इन बीमारियों का उपचार कर हम अपने बेहतर स्वास्थ्य जीवन को जी सकते हैं।

जबकि पीएमसीएच के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हर्षवर्धन ने किडनी के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि ब्लड कैंसर से भी किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में सही समय पर कैंसर का इलाज करवाकर अपने किडनी को बचा सकते हैं। ब्लड कैंसर के 30 से 40% मरीजों में किडनी खराब होने की संभावना रहती है। ऐसे में जरूरी है कि हम शुरुआती जांच करके ही ब्लड कैंसर की पहचान कर उसका उपचार करवाएं और अपने किडनी सहित अन्य अन्य अंगों को सुरक्षित रखें।
साथ ही पटना से आए डॉक्टर सैबाल गुहा ने कहा कि बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और हिमालय के तराई क्षेत्रों में मधुमेह एक आम बीमारी है। इसका उपचार संभव है। इसके शुरुआती लक्षणों में शरीर में वजन का बढ़ना, मस्तिष्क का विकास रुक जाना, गर्भवती महिलाओं का गर्भपात होना आदि शामिल है। इस तरह की बीमारियों के बढ़ने से शरीर का सारा अंग कमजोर पड़ने लगता है और शरीर धीरे-धीरे अन्य बीमारियों की चपेट में आता है। ऐसे में शुरुआती जांच करके हम अपना बेहतर तरीके से उपचार करवा सकते हैं।

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