मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। भगवान सूर्य की उपासना को समर्पित लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ सोमवार से शुरू हो गया। जिले के लाखों परिवार इस बार विभिन्न इलाकों में स्थित तालाबों व नदी में बने घाटों में अर्घ्य के दौरान मौजूद रहकर अपनी निष्ठा का समर्पण करेंगे। हालांकि, कई परिवारों ने सुविधा की दृष्टि से घर की छतों पर कृत्रिम तालाब भी बनवाएं हैं, जहां वे अर्घ्य देंगे। वहीं, कुछ ऐसे भी तालाब जिले में हैं जिसमें छठ नहीं मनता। पहले दिन नहाय-खाय के साथ ही घरों में भक्तिमय माहौल बन चुका है। हिंदू धर्म की परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार किसी भी पूजा या अनुष्ठान की शुरुआत स्नान से ही होती है। साथ ही इस दौरान खान-पान को लेकर कई तरह के नियम निष्ठाओं का पालन भी किया जाता है। नहाय खाय के दिन अरबा चावल का भात, मूंग की दाल और कद्दू की सब्जि खाने का प्रचलन है। इस दिन घर के सभी सदस्य प्रात: स्नान कर अरबा-अरबैन भोजन प्रसाद स्वरुप ग्रहण करते हैं और पूजा की तैयारियों में जुट जाते हैं। नहाय-खाय के साथ ही माहौल भक्तिमय हो चुका है। कल छठव्रती खरना करेंगे और बुधवार को भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा।
नहाय-खाय के साथ ही बाजारों में भी पूजा सामग्री खरीदने के लिए हर तबके के लोगों की भीड़ जुटने लगी है। पूरा बाजार छठ पूजा में प्रयोग होने वाले सामानों से पट चुका है। सोमवार को पूरे दिन छठ की खरीदारी होती रही। लोगों ने फल, मिठाई, मिट्टी का चूल्हा सहित पूजा की अन्य सामग्रियों के साथ ही कपड़ों की खरीदारी की। शहर के बाजारों में पूरे दिन लोगों का हुजूम लगा रहा।
छठ महापर्व के चार दिनी अनुष्ठान के दूसरे दिन मंगलवार को खरना होगा। छठ में जल में खड़े होने वाले व्रती महिला और पुरुष का खरना के दिन सूर्योदय के साथ ही निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। खरना के दिन छठ व्रती मिट्टी के नए चुल्हे पर खरना का महाप्रसाद तैयार करते हैं। शाम में व्रती महिला-पुरुष स्नान कर नवीन वस्त्र पहन कर खरना पूजा करते हैं। पूजा के बाद घर के सभी लोग खरना का महाप्रसाद ग्रहण करते हैं।
नहाय-खाय के साथ ही तालाबों व नदी किनारे घाटों को अंतिम रूप देने में लोग जुट गए हैं। बुधवार तक सभी घाट तैयार हो जाऐंगे।