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नंदना गैस कांड के पीड़ित परिवार को मिला 16 लाख का मुआवजा

–मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा पीड़ित परिवार की ओर से लड़ रहे थे मुकदमा
–वर्ष 2021 में पीड़ित अशोक साह का पूरा परिवार ही गैस सिलेंडर विस्फोट से खत्म हो गया था
मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। जिले के चर्चित नंदना गैस कांड मामले में बिहार मानवाधिकार आयोग की पहल पर बिहार सरकार के आपदा कोष से पीड़ित को 16 लाख रूपये का मुआवजा मिल चुका है। इसकी जानकारी पीड़ित अशोक साह ने आज दी। विदित हो कि 13 सितंबर 2021 को जिले के मीनापुर थाना क्षेत्र के नंदना गाँव के निवासी अशोक साह के घर पर खाना बनाने के क्रम में गैस सिलेंडर विस्फोट करने से अशोक साह का पूरा परिवार ही खत्म हो गया। इस भीषण हादसे में अशोक साह की पत्नी- शोभा देवी, पुत्री – दीपांशी कुमारी, पुत्र – अजीत कुमार एवं विवेक कुमार बुरी तरह से जल गये। ईलाज के दौरान चारों की मौत हो गई। इस सम्बंध में मीनापुर थाना में यू.डी. कांड संख्या – 21/21 दर्ज किया गया। इस पुरे मामले को लेकर मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एस. के. झा ने बिहार मानवाधिकार आयोग पटना के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसपर आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष न्यायमूर्ति विनोद कुमार सिन्हा द्वारा बिहार सरकार को नोटिस जारी किया गया था। तत्पश्चात बिहार सरकार ने अपना जबाव आयोग में दाखिल किया। अधिवक्ता एस. के. झा ने आयोग को बताया कि पीड़ित अशोक साह अपना पूरा परिवार खो चुका है, अब उसके पास कुछ भी शेष नहीं है। उसको फिर से अपने नये जीवन को शुरू करने के लिए बिहार सरकार के आपदा कोष से अविलम्ब मुआवजा मिलना चाहिए, जिस पर आयोग द्वारा गंभीरतापूर्वक अवलोकन किया गया और अधिवक्ता एस. के. झा के मंतव्य को जिला प्रशासन के पास भेज दिया गया। तत्पश्चात मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवार को 16 लाख रूपये देने के सम्बन्ध में आयोग के समक्ष कागजात दाखिल किया। उसके बाद मुआवजे की राशि पीड़ित अशोक साह के बैंक खाते में जिला प्रशासन द्वारा भेज दी गई। अब पीड़ित अशोक साह फिर से अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने आज अपने अधिवक्ता एस. के. झा के पास आकर उनको धन्यवाद दिया और आभार प्रकट किया। अधिवक्ता एस. के. झा ने बताया कि इस प्रकार के लोगों की मदद हर हाल में होनी चाहिए, क्योंकि जिस व्यक्ति ने अपना सब कुछ खो दिया, उसकी मदद अगर नहीं होगी, तो मानवता तार – तार हो जाएगी और मानवाधिकार के कोई मायने ही नहीं रह जाएँगे।

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