–माघ पूर्णिमा (24 फरवरी) पर विशेष
मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। माघ पूर्णिमा “कल्पवास” की पूर्णता का पर्व है।इस दिन गंगा स्नान करके कल्पवासी अपनी एक माह की तपस्या पूरी कर घर लौटते हैं।जो एक माह तक वहां नहीं रुकते ,वे इस एक दिन गंगा स्नान करके न केवल पूरे माह का बल्कि वर्ष भर का पुण्य लाभ ले लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सभी देवी-देवता भी प्रयाग मे गंगा में स्नान करके वापिस अपने लोक को लौटा जाते हैं। हमारी संस्कृति की यह विशेषता है कि तमाम तरह के भोगों के बीच व्यक्ति को योगी होने का भी अवसर देती है। माघ का महीना ऐसा ही अवसर है। इस माह साधना के लिए वन में कठोर जप- तप नहीं, सिर्फ सूर्योदय से पूर्व स्नान करना होता है। गंगा जी में स्नान हो जाए तो अच्छा। घर में हो जाए तो भी अच्छा। पूरे माह हो जाए तो बहुत अच्छा वरना सिर्फ एक दिन माघ पूर्णिमा पर ही गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष की साधना का फल मिल जाता है। यह भी ना हो पाए तो घर में पानी में गंगाजल मिलकरर स्नान कर लो तो वह भी अच्छा। इतना भी नहीं हो पा रहा है तो गंगाजल के छींटे मार लो। और यह भी नहीं हुआ तो मानसिक स्नान की भी व्यवस्था है यानी धर्म आपकी सुविधा का पूरा ध्यान रख रहा है। कितना उदार है हमारा धर्म और कितने व्यावहारिक है हमारे धार्मिक विश्वास।आचार्य सुजीत शास्त्री (मिट्ठू बाबा) ने बताया कि हमारे वैदिक ऋषि इस बात को जानते थे की मन की शुद्धि के साथ-साथ तन की शुद्धि भी बहुत जरूरी है।क्योंकि गंदे पात्र में रखी हुई अच्छी वस्तु भी खराब हो जाती है, इसलिए मन को रखने वाले तन रूपी पात्र का भी साफ रहना जरूरी है और यों शुरू हुई स्नान की प्रथा।