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असत्य पर सत्य की विजय का प्रतिक है दशहरा:आचार्य सुजीत शास्त्री

मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। दशहरे के दिन नित्य की तरह मैया का पुजन अर्चन कर क्षमा प्रार्थना,मैया की बिदाइ,जयन्ती ग्रहण करें और समाज की बुराई का दहन करने की प्रण ले तथा इस दशहरे पर अपनी अंदर छिपी किसी एक बुराई का भी अंत करने का प्रण करें।आचार्य सुजीत शास्त्री (मिठ्ठू बाबा)ने कहा कि दशहरे से मिलती है बुरी आदतें छोड़ने की प्रेरणा। हमारे देश में जितने भी त्योहार मनाए जाते हैं उनके पीछे कुछ न कुछ रहस्य या कहानी छिपी होती है। ऐसा ही एक त्योहार दशहरा भी है। जिसे पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को असत्य पर सत्य की विजय के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने बुराई के प्रतीक माने जाने वाले रावण का वद्ध किया था। दशहरे को रावण के पुतले को जलाया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इससे बुराई रूपी रावण का अंत होता है। कई बार देखने को मिलता है कि रावण के साथ-साथ इस त्योहार के दिन कुछ बुरे लोगों या फिर भ्रष्टाचार रूपी रावण का दहन भी किया जाता है। लेकिन इस बार आप समाज की बुराई का दहन करने के साथ साथ अपनी अंदर छिपी किसी एक बुराई का अंत करने का प्रण कर सकते हैं। हालांकि इसका पुतला बनाकर फूंकने की कोई जरूरत नहीं है। बस अपने दिल और दिमाग से ही आप भीतर छिपी बुराई का अंत कर लेंगे। दशहरे से मिलती है बुरी आदतें छोड़ने की प्रेरणा। लेकिन अब आपको यह जानना जरूरी होगा कि आप इस दिन अपनी कौन सी बुराई का अंत कर सकते हैं। कहा जाता है कि दशहरे का पर्व किसी भी मानव के दस तरह के पापों को दूर कर सकता है। इनमें मत्सर, अहंकार, आलस्य, काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, हिंसा और चोरी जैसी बुराइयां शामिल हैं। तो अगर आपके पास इनमें से एक भी बुराई है तो इस दशहरे रावण के पुतले के साथ उसे भी स्वाहा कर दीजिए। श्रीराम ने 10 दिनों तक रावण से युद्ध किया था, आप भी अपनी इस पुरानी बुराई को छोड़ने के लिए कुछ टाइम ले सकते हैं।अहंकार करने वालों के लिए दशहरा एक सबक दुनिया में हर दूसरे इंसान को कभी न कभी किसी न किसी बात को लेकर अहंकार जरूर आता है। हालांकि कुछ लोगों में यह अहंकार रूपी रावण कुछ टाइम तक रहता है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें अपनी सत्ता, काबलियत, ताकत, धन आदि के आगे पूरी दुनिया बौनी लगने लगती है। ऐसे ही इंसानों के लिए दशहरे का पर्व हर साल एक सबक के तौर पर आता है और सिखाता है कि अहंकार जब रावण जैसे शक्तिशाली और बुद्धिमान व्यक्ति का नहीं टिक पाया तो आप तो एक तुच्छ प्राणी हैं। इसीलिए यह सोचकर जरूर चलिए कि अहंकार एक न एक दिन विनाश का कारण जरूर बनता है।

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