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पुरुषोत्तम मास में पूजा-पाठ का विशेष महत्व:-आचार्य सुजीत शास्त्री

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। पुरुषोत्तम मास में पूजा पाठ का विशेष महत्व है।मलमास को अधिक मास भी कहा जाता है।भगवान विष्णु से वरदान प्राप्त होने के कारण इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है।इस मास में भक्ति से जुड़े कोई भी कार्य जैसे अष्टयाम संकीर्तन यज्ञ, मानसपाठ,सुंदरकांड पाठ,रुद्राभिषेक,निष्काम भक्ति करने से अधिक फल की प्राप्ति होती है,इस मास में मनुष्य के जीवन से जुड़े 16 संस्कारों में 14 संस्कार पूर्णतया वर्जित है, जैसे मुंडन, जनेऊ,विवाह, गृह प्रवेश,गृहारंभ, नया काम शुरू करना यह सब कार्य वर्जित है।सावन मास में इसके पड़ने के कारण सोमवार की तिथि अतिमहत्वपूर्ण हो जाती है।आचार्य सुजीत शास्त्री (मिठ्ठू बाबा) ने बताया कि चूंकि भगवान विष्णु शिव की पूजा से भी प्रसन्न होते हैं, और शिव भगवान राम की पूजा से प्रसन्न होते हैं।इसलिए बेलपत्र पर राम नाम लिखकर अर्पित करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।पुरुषोत्तम मास में भोलेनाथ की पूजा-अर्चना से भक्तों पर उनकी विशेष कृपा बरसती है।

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