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हार्ट अटैक से होने वाली मौत पर लगाई जा सकती है लगाम, सीपीआर के लिए चलाना होगा जन जागरूकता अभियान: डॉ. अजय कुमार सिन्हा

–मधुमेह के मरीजों को विश्वास में लेकर डॉक्टर करें उपचार: डॉक्टर सुभाष कुमार
मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। बेपिकॉन (एसोसिएशन आफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया बिहार चैप्टर)-2022 द्वारा 32 वां वार्षिक अधिवेशन का उद्घाटन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ कमलेश तिवारी ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बिहार चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. बीके सिंह उपस्थित थे।
पटना से आए डायबिटीज के विशेषज्ञ डॉक्टर सुभाष कुमार ने कहा कि डॉक्टरों मरीज को विश्वास में लेकर मधुमेह ( डायबिटीज) संबंधी जानकारी देनी चाहिए। सबसे पहले जरूरी है कि हम मरीज को अपने विश्वास में लेकर उन्हें एहसास दिलाएं कि यह लाइलाज बीमारी नहीं है। बल्कि इसका भी उपचार संभव है। साथ ही सभी  डॉक्टर्स को जिम्स पोचसका वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल करते हुए मरीजों का उपचार करना चाहिए। क्योंकि आज के परिवेश में एकाएक किसी व्यक्ति के दिनचर्या में परिवर्तन संभव नहीं है। 20 से 30% लोग ही अपनी दिनचर्या में परिवर्तन कर पाते हैं। लिहाजा यह जरूरी है कि डॉक्टर्स मरीजों से बात करके उनकी बात को सुनें और उनके बातों को महत्व देते हुए उनके उपचार की पद्धति को बताएं।
डाइटिशियन डॉक्टर सुनीता कुमारी ने बताया कि उचित खानपान से सभी बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है। हम लोगों को अपने दिनचर्या में खानपान का सही इस्तेमाल करें, तो मधुमेह जैसी बीमारी को दूर रख सकते हैं। इसके साथ ही आज के तनावपूर्ण जीवन में खानपान सबसे खराब रहता है। इसलिए सही सेहत के लिए स्वस्थ भोजन का होना बहुत जरूरी है।
 इंसुलिन वर्कशॉप के दौरान डॉ अजय कुमार ने कहा कि डायबिटीज के मरीज कई परिस्थितियों से गुजरते हैं। जिसके कारण उन्हें इंसुलिन लेने की जरूरत होती है। इन सबमें सबसे  बड़ा सवाल यह है कि अगर शुरुआती दिनों में हम डायबिटीज की पहचान कर ले और उसका उपचार शुरू कर दें तो फिर इस बीमारी पर पार पाया जा सकता है। अगर हम सही समय पर इंसुलिन का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं, तो इसके बाद हमें जीवन पर्यंत इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। अगर सही समय पर हम इंसुलिन नहीं लेते हैं, तो इसके बाद फिर जीवन पर्यंत हमें आजीवन इंसुलिन लेने की आवश्यकता पड़ती है और सबसे बड़ी बात यह है कि इससे मरीजों को बहुत बड़ा नुकसान होता है।  मैं जान जाने का भी खतरा रहता है।
 मेदांता अस्पताल से आए विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि अजय कुमार सिन्हा ने हार्ट अटैक को लेकर कहा कि हार्ट अटैक से मरने वाले मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लेकिन जागरूकता के जरिए इस बीमारी से मरने वाले की संख्या में कमी लाई जा सकती। इसके लिए जरूरी है कि सभी लोगों के बीच सीपीआर ( कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) को लेकर जागरूकता फैलाएं।  क्योंकि आम जगहों पर सीपीआर प्रशिक्षण प्राप्त लोग आराम से किसी भी हार्ड अटैक वाले सिचुएशन को रोक सकते हैं और मरीज की जान बचा सकते हैं। अगर किसी भी मरीज को हार्ट अटैक आता है, तो मरीज के पास केवल केवल 6 से 8 मिनट का ही समय होता है। अगर इसके बीच हम मरीज की जान बचा सकते है। सीपीआर के दौरान मरीज के लिए जरूरी है कि मरीज को खास प्रकार से 30 बार उसकी छाती को दबाना है और दो बार उसकी मुंह में सांस को देना है। यह निरंतर प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी, जब तक मरीज का सांस वापस ना आ जाए। आज के तनावपूर्ण जिंदगी में हार्ट अटैक एक आम बात हो गया। ऐसे में जरूरी है कि सीपीआर को लेकर हम लोग जागरूकता अभियान चलाएं और आम जनमानस के बीच लोगों को प्रशिक्षण दें। इसके लिए बिहार सरकार भी काम कर रही है और हम लोगों को भी इसमें आगे आने की जरूरत है। वही आगंतुक अतिथियों को  शॉल, मोमेंटो और पाग से सम्मानित किया गया। पीजी के छात्रों ने विभिन्न विषयों पर अपना पेपर प्रेजेंटेशन दिया। कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने में बेपिकॉन-2022 के अध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र कुमार, सचिव डॉ. एके दास, डॉ. अकील अहमद मुमताज, डॉक्टर सतीश कुमार सिंह, डॉ. नवनीत आदि ने सहयोग दिया।
कार्यक्रम के दौरान बिहार के कई जाने-माने चिकित्सक वरीय चिकित्सक उपस्थित थे

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