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यशस्वी कवि कथाकार डॉ महेंद्र मधुकर के 85वें जन्मोत्सव समारोह में कवियों ने किया काव्यपाठ

–राजकमल प्रकाशन, दिल्ली से सद्य: प्रकाशित ‘वक्रतुंड’ उपन्यास का हुआ लोकार्पण
मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। वरिष्ठ कवि ,आलोचक, चिंतक और उपन्यासकार डॉ महेंद्र मधुकर का 85वां जन्मोत्सव मिठनपुरा स्थित मंजुल प्रिया में डॉ पूनम सिंह की अध्यक्षता में आत्मीयता के साथ मनाया गया।
व्यक्तित्व कृतित्व पर विस्तार से बोलते हुए डॉ संजय पंकज ने कहा कि डॉ महेंद्र मधुकर का रचनात्मक व्यक्तित्व विस्तृत और प्रभावशाली है। एक सुमधुर गीतकार, चिंतक और आलोचक के साथ ही इनके पौराणिक सामाजिक, आंचलिक तथा समसामयिक संदर्भों को केंद्र में रखकर जो उपन्यास हैं वह भाषा शिल्प और विषय वस्तु के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं‌। इनका जन्मोत्सव रचनाकारों के लिए आत्मीय और प्रेरक है। अध्यक्षीय उद्गार में डॉ पूनम सिंह ने कहा कि हम लोगों ने महेंद्र मधुकर जी से सांस्कृतिक संस्कार को सीखा और प्राप्त किया है। इनके उपन्यासों की चर्चा हिंदी जगत में विविधताओं के कारण खूब हो रही है। विश्वविद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ सुधा कुमारी ने कहा कि पौराणिक कथाओं को समयानुकूल बनाते हुए उपन्यासों को प्रस्तुत करने का कौशल डॉ महेंद्र मधुकर जी का अद्भुत है। डॉ रामेश्वर द्विवेदी ने कहा कि भाषा का सम्मोहन क्या होता है यह हम लोगों ने मधुकर जी को सुनते और पढ़ते हुए समझा तथा जाना है। डॉ विजय शंकर मिश्र ने कहा कि इनके गीत  अंतर्मन को छूते हैं, उपन्यास विचार तथा रस से समृद्ध करते हैं, आलोचना चिंतन के लिए प्रेरित करती है। डॉ महेंद्र मधुकर ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि आप लोगों की सक्रियता से मुझे बल मिलता है और आज मेरा जो वक्रतुंड उपन्यास आया है उसमें गणेश को मैंने मनुष्यों के देवता के साथ-साथ पशु पक्षियों के शरणदाता तथा अखिल जीव मात्र की कल्याण कामना से लबालब भरे हुए हृदय को देखा है। गणेश का विशाल उदर मुझे पृथ्वी लोक का प्रतीक प्रतीत होता है और उनके हाथों का मोदक भी ऐसा लगता है जैसे वह समूची धरती हो। गणपति का अवतार असुरों के नाश तथा मनुष्य जाति की रक्षा करने के लिए होता है। मेरे वक्रतुंड आनंदमय हैं, नृत्य संगीत विशारद और वंशी वादक कृष्ण की तरह मधुर हैं और उनका सब कुछ मधुर है‌। मेरे अन्य उपन्यासों की तरह ही विश्वास है कि यह उपन्यास भी पाठकों को आनंदित करेगा।
 जन्मदिन की शुभकामनाओं के बाद ‘वक्रतुंड’ उपन्यास का लोकार्पण किया गया। पूनम सिंह,  रामेश्वर द्विवेदी, विश्वविद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ सुधा कुमारी,  वंदना विजय लक्ष्मी, पुष्पा प्रसाद, भावना, अनिता सिंह, पुष्पा गुप्ता,  विजय शंकर मिश्र, पंखुरी सिन्हा,के के चौधरी, संजय पंकज, आरती, पंकज कर्ण, चांदनी समर, वीरमणि राय आदि कवियों ने विविध भावों से भरी हुई कविताओं का पाठ किया। शुभकामनाएं देने वालों में अविनाश तिरंगा उर्फ आक्सीजन बाबा,पूर्व उपमेयर विवेक कुमार, सुरेश गुप्ता, अविनाश कुमार चौधरी, मायाशंकर प्रसाद, सतीश कुमार झा, गणेश प्रसाद सिंह, आलोक कुमार, मिलन आदि की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही। स्वागत संजय पंकज ने, संचालन विजय शंकर मिश्र ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनीति मिश्र ने किया।

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