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किसानों के आर्थिक सुधार के लिए बिहार सरकार प्रतिबद्ध है: संजय अग्रवाल

मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। किसानों के आर्थिक सुधार के लिए बिहार सरकार प्रतिबद्ध है और इसी को लेकर अब किसानों को धान गेहूं के अलावा सब्जी उत्पादन के साथ नगदी खेती करने की जरूरत है। इसलिए अंजीर और नींबू की खेती करके किसान अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सकता हैं। उक्त  बातें कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने खरौना स्थित हेक्योर एग्रो प्लांट्स प्राइवेट लिमिटेड में टिशू कल्चर लैब के निरीक्षण के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि अंजीर और नींबू की खेती पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसलिए बिहार सरकार अंजीर और नींबू की खेती के लिए किसानों को प्रेरित करेगी। इसके लिए किसानों के बीच जागरूकता कार्यक्रम के साथ-साथ किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि आर्थिक उन्नति और बिहार की प्रगति में उनकी भूमिका हो। इसके अलावा किसानों को केले की खेती के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए टिशु कल्चर द्वारा निर्मित मालभोग, अल्पान, चिनिया केला की खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाएगा। इसे लेकर विभाग रोड मैप बना रही है। इस पर काम करने की के लिए सभी अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केला एक ऐसी फसल है जिसकी जड़ें ज्यादा गहराई तक नहीं जाती। जिस वहज से इसके पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती हैं। अच्छी उपज के लिए इसे 60-70 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। सर्दियों में 7-8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें और गर्मियों में 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। बारिश के मौसम में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। अतिरिक्त पानी को खेत में से निकाल दें क्योंकि यह पौधों की नींव और वृद्धि को प्रभावित करेगा। केले की फसल रोपाई के बाद 12-15 महीनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। मार्केट की आवश्यकताओं के अनुसार केले के पूरी तरह पक जाने पर तुड़ाई करें। स्थानीय मार्केट के लिए फलों की तुड़ाई पकने की अवस्था पर करें और लंबी दूरी वाले स्थानों पर ले जाने के लिए 75 से 80 प्रतिशत पक जाने पर फलों की तुड़ाई करें।
वहीं अंजीर को लेकर उन्होंने कहा कि अंजीर के पौधे लगभग दो साल बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं. इसके चार-पांच साल पुराने एक पौधे से 15 किलो के आसपास फल प्राप्त होते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, अंजीर के पूरी तरह तैयार एक पौधे से एक बार में 12000 रुपए तक की कमाई की जा सकती है। अंजीर एक बहुत ही पौष्टिक फल है. यह भी एक औषधि है. ताजा अंजीर में 10 से 28 प्रतिशत चीनी होती है. चूना, लोहा और विटामिन ए और सी की आपूर्ति अच्छी तरह से की जाती है. अंजीर को अन्य फलों की तुलना में अधिक मूल्यवान माना जाता है क्योंकि वे हल्के रेचक, टॉनिक, पित्त रोधी और रक्त शोधक होते हैं. यह अस्थमा के लिए भी बहुत उपयोगी है।
वही नींबू को लेकर उन्होंने कहा कि  नींबू (लाइम) और लेमन दोनों की ही दो-दो प्रजातियां विकसित की हैं. जहां तक कागजी नींबू यानी लाइम की बात है, तो नींबू की दो प्रजातियां हैं, जिन्हें उत्तर भारत में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. वहीं इनके फल का समय जुलाई, अगस्त और फरवरी से अप्रैल के बीच में होता है। जहां तक इनके रोपण का सवाल है, तो उत्तर भारत में इन दोनों को ही सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। नींबू की खेती से किसान शानदार मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं इसकी खेती अधिक मुनाफे वाली खेती के रूप में की जाती है. इसके पौधे एक बार बड़े हो जाने के बाद कई साल तक फल देते हैं. नींबू की खेती कम खर्च में अधिक मुनाफे वाली फसल है. इसके पौधों को केवल एक बार लगाने के बाद किसान लगभग 10 सालों तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. वहीं भारत दुनिया में सबसे अधिक नींबू उत्पादन करने वाला देश है. आमतौर पर नींबू का इस्तेमाल सबसे अधिक खाने में किया जाता है।
वहीं,  खाने के अलावा नींबू का इस्तेमाल अचार बनाने के लिए भी किया जाता है. मौजूदा वक्त में नींबू एक बहुत ही उपयोगी फल हो गया है, जिसे कई कॉस्मेटिक कंपनियां और फार्मासिटिकल कंपनियों द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है।
इस अवसर पर हेक्योर एग्रो प्लांट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अनिल कुमार ने कृषि विभाग के सचिव का शॉल देकर स्वागत किया और उन्होंने आभार प्रकट करते हुए कहा कि बिहार सरकार द्वारा किसानों के लिए चलायी जा रही योजना काफी सफल है और सचिव संजय अग्रवाल की उन्होंने प्रशंसा की। इस अवसर पर भाजपा नेता देवांशु किशोर समेत विभाग के कई बड़े पदाधिकारी और अधिकारी उपस्थित थे।

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