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लोक राग और पौरुष आग के कवि थे राकेश : संजय पंकज

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। उत्तर छायावाद के महत्वपूर्ण कवि राम इकबाल सिंह राकेश की पुण्यतिथि पर स्मृति पर्व का आयोजन आमगोला स्थित शुभानंदी में महाकवि राम इकबाल सिंह राकेश स्मृति समिति तथा नवसंचेतन के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ। राकेश जी के व्यक्तित्व कृतित्व पर विस्तार से बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ संजय पंकज ने कहा कि प्रकृति के चितेरे कवि राकेश जी ग्रामीण चेतना के बड़े कवि थे। घोषित रूप से उन्होंने कोई महाकाव्य नहीं लिखा लेकिन उनकी कई लंबी कविताएं महाकाव्यात्मक औदात्य से भरी हुई हैं। वे स्वाभिमानी और किसान संस्कृति के संपोषक थे। उनकी कविताएं भारतीय संस्कृति और वैज्ञानिक गतिशीलता से संपन्न हैं। वे बड़े गद्यकार भी थे। परंपरा और प्रगति को साध कर वे साहित्य साधना करते रहे। लोक राग और पौरुष आग के कवि राकेश की कई कविताएं कालजयी हैं।


अध्यक्षीय उद्गार में कवि नरेन्द्र मिश्र ने कहा कि – स्मृतिशेष राम इकबाल सिंह राकेश सामाजिक समरसता के कवि हैं। उनकी कविताओं में रूढ़ियों के प्रति विद्रोह, पुराने विचारों के लिए नवीन दृष्टिकोण। परंपराओं के बेजरूरी तत्वों को नकारने का भाव, क्रा़ति और नए विचार, राष्ट्र बोध उनकी कविताओं में भरा पड़ा है। कवि समीक्षक डॉ केशव किशोर कनक ने कहा कि राकेश जी मानवतावाद के कवि हैं। उनकी कविताएं प्रकृति, राष्ट्र और विशेष रूप से मनुष्यता का जीवंत दस्तावेज है। कवि-गीतकार कुमार राहुल ने कहा कि राकेश जी एक विद्रोही कवि हैं। उन्होंने स्थापित जीवन मूल्यों और आदर्शों के विरुद्ध खड़े होकर कविता के क्षेत्र में एक नया मानदंड उपस्थित किया है। राकेश जी के जामाता ब्रजभूषण शर्मा ने संस्मरण के माध्यम से राकेश जी के व्यक्तित्व को चित्रित करते हुए कहा कि उनके साथ मैंने अनेक कवियों से संवाद किया था। उनके बीच राकेश जी का बहुत सम्मान था।

 

युवा कवि डॉ यशवंत ने कहा कि राकेश जी की कविताओं में शौर्य और पराक्रम के भाव तथा शिल्प में नवीनता है। कवि श्यामल श्रीवास्तव ने कहा कि महाकवि राकेश की कविताएं हमें संस्कारित करती हैं। उनको पढ़ते हुए प्रेरणा मिलती है। इस अवसर पर उद्गार व्यक्त करने वालों में प्रेमभूषण, एच एल गुप्ता, कुमार विभूति, राकेश कुमार, अविनाश तिरंगा, प्रमोद आजाद, चैतन्य चेतन, कृशानु आदि महत्वपूर्ण थे। स्मृति पर्व का शुभारंभ महाकवि के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि के बाद उनके जामाता ब्रजभूषण शर्मा के स्वागत संबोधन से हुआ। ब्रजभूषण शर्मा ने कई संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वे बड़े स्वाभिमानी थे, किसी तरह का समझौता उन्हें स्वीकार नहीं था। कुमार राहुल ने राकेश जी की कविता जब मैं बोला का ओजस्वी पाठ प्रस्तुत किया। दूसरे सत्र में उपस्थित कवियों ने विविध भावों की रचनाओं की सुंदर प्रस्तुति दी। धन्यवाद ज्ञापन प्रणय कुमार ने किया।

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