मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। अगहण शुक्ल पक्ष पंचमी 28 नवंबर सोमवार को उत्तराषाढ नक्षत्र और वृद्धि योग के साथ रवि योग के जयद योग के युगम संयोग में विवाह पंचमी मनाई जाएगी।
आचार्य सुजीत शास्त्री (मिट्ठू बाबा) ने बताया कि विवाह पंचमी मार्गशीर्ष शुक्ल की पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान राम का विवाह सीता के साथ हुआ था। इसलिए इस पंचमी को भगवान राम के विवाहोत्सव के रूप में भी मनाई जाती है। इस दिन पाठ पुजन से विवाह में आ रही समस्या दूर होती है।मनोवांछित विवाह का वरदान मिलता है।वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याओं का समाधान होता है।इस दिन भगवान राम और माता सीता का संयुक्त रूप की पूजा करने से विवाह में आ रही बाधाओं का नाश होता है।इस दिन रामायण के बालकाण्ड में निहित श्री राम और सीता के विवाह प्रसंग का पाठ करना शुभ फलदायक होता है।सुबह स्नान कर श्री राम विवाह का संकल्प लें।इसके बाद राम-सीता के विवाह का कार्यक्रम प्रारंभ करें।फिर भगवान राम और माता सीता के वैवाहिक स्वरूप वाली प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें।इसके बाद भगवान राम को पीले वस्त्र और माता सीता को लाल वस्त्र का अर्पण करें।तत्पश्चात् इनके सामने बालकांड में निहित विवाह प्रसंग का पाठ करें या “ॐ जानकीवल्लभाय नमः” इस मंत्र का जाप करें।इसके बाद भगवान राम और सीता का गठबंधन करें। साथ ही उनकी आरती करें।अंत में गांठ लगे वस्त्र को अपने पास रख लें।