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कवि संजय पंकज को मिलेगा श्री परमेश्वर नारायण स्मृति साहित्य सम्मान

— शॉल, मोमेंटो, सम्मान पत्र और अभिनंदन पत्र के साथ ही दी जाएगी 51000 हजार की राशि भी
–संस्थान के सचिव डॉ रामभद्र ने दी जानकारी और बताया कि ‘मां है शब्दातीत’ जैसी महत्वपूर्ण कृति के कारण श्रेष्ठ और लोकप्रिय हैं कविवर संजय पंकज। महान रामकथा वाचक मुरारी बापू इस कृति की अपने प्रवचनों में करते हैं चर्चा।
मुजफ्फरपुर (वरुण कुमार)। चर्चित कवि गीतकार डॉ संजय पंकज को परमेश्वर नारायण मेमोरियल विकास सेवा संस्थान, मोरसंड (सीतामढ़ी) के तत्वावधान में श्रेष्ठ एवं सार्थक साहित्य सृजन के लिए ‘परमेश्वर नारायण स्मृति साहित्य सम्मान’ से 17 दिसंबर 2023 दिन रविवार को ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल रुनीसैदपुर(सीतामढ़ी) के दिनकर सभागार में अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह, सम्मान पत्र तथा 51000 (इक्कावन) हजार की राशि से विभूषित किया जाएगा। विदित हो कि डॉ संजय पंकज समर्थ लेखन,ओजस्वी संबोधन तथा कुशल संपादन कला के लिए जाने जाते हैं। ‘गांधारी की पट्टी नहीं है शब्द, यवनिका उठने तक, मंजर मंजर आग लगी है,मां है शब्दातीत, यहां तो सब बंजारे, सोच सकते हो, शब्द नहीं मां चेतना, बिहार केसरी डॉ श्रीकृष्ण सिंह, समय बोलता है, मौसम लेता अंगड़ाई, शब्दों के फूल खिले, बजे शून्य में अनहद बाजा, बिहार की लोककथाएं’ – जैसी विभिन्न विधाओं की कृतियों के कारण साहित्य के विमर्श में लगातार बने रहते हैं। अपनी वैचारिक अभिव्यक्ति के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बड़े-बड़े मंचों, सेमिनारों, दूरदर्शन, रेडियो तथा गोष्ठियों के माध्यम से प्रस्तुत होते रहते हैं।  इनके व्यक्तित्व-कृतित्व पर डॉ रेवती रमण तथा श्यामल श्रीवास्तव के संपादन में मूल्यांकन ग्रंथ ‘जातीय संवेदना और प्रगतिशील विचार ‘ नाम से वर्षों पहले आ चुका है।
  मुजफ्फरपुर(बिहार) के बेरईं गांव में 5 दिसंबर 1961 में इनका जन्म हुआ। गांव के स्कूल में इनकी शिक्षा-दीक्षा हुई और घर के साहित्यिक, सांस्कृतिक वातावरण से इन्हें लिखने-पढ़ने का संस्कार मिला। माता प्रतिभा सिन्हा की धार्मिकता तथा साहित्यिक रुचि और पिता  जयकिशोर प्रसाद सिंह की कर्मठता ने उनके स्वभाव को मधुर, कोमल, संवेदनशील, सामाजिक और करुणावान बनाया। अबतक महाकवि राकेश गंधज्वार सम्मान, श्रीरामवृक्ष बेनीपुरी जन्मशताब्दी सम्मान, आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री सम्मान, पंडित रामानुज त्रिपाठी नवगीत साहित्य सम्मान,अमीर खुसरो राष्ट्रीय शिखर साहित्य सम्मान, सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा सम्मान, सुरेश अचल राष्ट्रीय साहित्य सम्मान, रोटरी आम्रपाली शिक्षक सम्मान, महाकवि केदारनाथ मिश्र प्रभात राष्ट्रीय शिखर साहित्य सम्मान, महाकवि हरिऔध राष्ट्रीय शिखर साहित्य सम्मान,समीक्षा सम्मान, नव संचेतन सम्मान, साहित्य गरिमा सम्मान, सेवक स्मृति सम्मान, बिहार अस्मिता सम्मान,महाकवि अवधेश्वर अरुण सम्मान, पंत साहित्य साधक सम्मान, साहित्य शार्दूल सम्मान,पं हंस कुमार तिवारी स्मृति पुरस्कार, पं विशुद्धानंद स्मृति सम्मान  – जैसे राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों और सम्मानों से विभूषित डॉ संजय पंकज ने भिक्षुक, कमल दल, सुगंध, सौदामिनी, पारिजात, नई आकृति, इंद्रधनुष, उत्कर्ष, गरिमा, कावेरी, दृष्टि, शिवम सुंदरम, अग्रणी, कला अभिप्राय,बेला आदि पत्रिकाओं का संपादन किया है।
टीवी सीरियल – ‘भूमि’, ‘खड़ी बोली का चाणक्य’, ‘सांझ के हमसफर’ में अपनी अभिनय-कला से रंगकर्मी के रूप में भी पहचान बनाई‌। ‘जानकीवल्लभ शास्त्री संचयिता’ पांच खंडों – मेरे पथ में न विराम रहा, वह तान कहां से आई, समुद्र की गहरी हरी आत्मा, मेरा रास्ता आसान नहीं, बरगद के साए में’ के अतिरिक्त ‘कल्पतरु’ ‘अविराम’ (मूल्यांकन ग्रंथ) का भी संपादन किया। रेलवे हिंदी सलाहकार तथा नेशनल बुक ट्रस्ट के न्यासी संजय पंकज  ‘विशुद्ध स्वर’ एवं ‘ऑनेस्ट रिपोर्टर’ के भी सलाहकार संपादक हैं।

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