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गणपति उत्सव सह स्वराज पर्व को लेकर सर्व समाज की हुई बड़ी बैठक

–बैठक में शामिल हुए पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा, पूर्व विधायक केदार प्रसाद गुप्ता और अतिपिछड़ा वर्ग आयोग, भारत सरकार, के पूर्व अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल सहनी
–आरडीएस कॉलेज की प्राचार्या डॉ. अमिता शर्मा, गायत्री शक्तिपीठ के अध्यक्ष शशिभूषण प्रसाद, डॉ एचएन भारद्वाज और एचएल गुप्ता की भी रही भागीदारी
–सभी ने गणेशोत्सव और स्वराज पर्व को सफल बनाने का लिया संकल्प
मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। आगामी 19 सितंबर से मुजफ्फरपुर के रामदयालु सिंह कॉलेज के मैदान में विधि विधान से आयोजित होने वाले गणपति उत्सव सह स्वराज पर्व को लेकर मंगलवार को कॉलेज के श्रीकृष्ण सभागार में मुजफ्फरपुर के सर्व समाज के लोगों की महती बैठक हुई। बैठक में सर्व समाज के लोगों ने  गणेशोत्सव और स्वराज पर्व को पूरी तरह सफल करने को लेकर संकल्प व्यक्त किया।
आयोजन समिति के स्वगाताध्यक्ष रघुनंदन प्रसाद सिंह उर्फ अमर बाबू ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि गणेशोत्सव और स्वराज पर्व का आयोजन मुजफ्फरपुर के लिए गौरव की बात है। महाराष्ट्र में गणेशोत्सव का बड़े पैमाने पर शुभारंभ करने वाले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का मुजफ्फरपुर से विशेष लगाव था। तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कुछ दिन मुजफ्फरपुर में प्रवास भी किया था।
अपने संबोधन में पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा कि गणेशोत्सव में वह आयोजन समिति के साथ हर कदम पर मुस्तैदी से रहेंगे। यह राष्ट्र उत्सव का कार्य है।
बैठक को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक केदार प्रसाद गुप्ता ने कहा कि मुजफ्फरपुर का आध्यात्मिक वातावरण इस आयोजन से नई ऊंचाइयों को छुएगा। यह हर व्यक्ति के लिए गर्व की बात है।
बैठक को संबोधित करते हुए  डॉ भगवान लाल सहनी ने कहा कि अध्यात्म, संस्कृति और राष्ट्र के लिए ऐसे सांस्कृतिक आयोजन की आवश्यकता है।पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति पर तंज कसते हुए डॉ सहनी ने कहा कि तिलक ने धर्म और राष्ट्र की सच्ची व्याख्या की है।
शशिभूषण प्रसाद सिंह के गायत्री मंत्रोच्चारण के बाद आयोजन के संयोजक डॉ. संजय पंकज ने सारी तैयारियां के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि 15 सितंबर को गणपति आगमन-अभिनंदन पूजा अर्चना के भव्य वातावरण में किया जाएगा। 17 सितंबर को गंडक नदी के सिकंदरपुर सीढ़ी घाट से कलश शोभायात्रा निकलेगी। 19 सितंबर को गणपति पूजा और उद्घाटन के साथ ही विभिन्न विषयों पर संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे।
पुस्तक मेला परिसर में कवियों और लेखकों के लिए मंच होगा, जिसपर साहित्यिक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। इस दस दिवसीय राष्ट्रीय उत्सव में कई केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों,  विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और नामचीन कलाकारों के आने की स्वीकृति मिल चुकी है। ये सभी अलग अलग सत्रों में अपने विचार रखेंगे। लगभग पचास नाटकों का मंचन भी होगा। डॉ. पंकज ने निवेदन किया कि गणेश और तिलक सबके हैं, पूरी मानवता के हैं। यह उत्सव हम सब का है। इसलिए विश्वास है कि यह आयोजन ऐतिहासिक और भव्य होगा।
सह संयोजक अविनाश तिरंगा उर्फ ऑक्सीजन बाबा ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि मुजफ्फरपुर के लोग सामाजिक सद्भाव और समरसता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह स्मृति न्यास और इसके अध्यक्ष नीरज कुमार को हम सभी साधुवाद देते हैं कि मुजफ्फरपुर वासियों के लिए उन्होंने ऐसा अवसर उपलब्ध कराया। धन्यवाद देते हुए प्राचार्या डॉ. अमिता शर्मा ने कहा कि भगवान गणेश और लोकमान्य तिलक ने हमें यह सौभाग्य दिया है कि हम स्वतंत्र हैं और इस उत्सव में सहभागी हैं।
बैठक के दौरान ही विभिन्न समितियों की घोषणा हुई जिसे करतल ध्वनि से सभी ने स्वीकृति प्रदान की।
बैठक में सुनील कुमार, अजय सिंह, सुमन कांत झा, आकाश चौधरी, सुमित चमरिया, अखिलेश चंद्र राय, सियाराम तिवारी, सुधांशु राज, नवीन कुमार उर्फ शशि ठाकुर, मधुमंगल ठाकुर, कुमार विरल, अमित कुमार, गणेश प्रसाद सिंह, डॉ संतोष पटेल, विभेष त्रिवेदी, डॉ. मीनू कुमारी, डॉ. राजीव कुमार सिंह, सुगंध, उज्ज्वल आदि सैकड़ों लोगों ने जयघोष के साथ इस उत्सव में अपनी मजबूत सहभागिता देने का संकल्प व्यक्त किया।
बता दें कि पुणे से आ रही भगवान गणेश और लोकमान्य तिलक की प्रतिमा का मंगलवार को रात्रि विश्राम स्थल बनारस है।

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