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देवशयनी एकादशी व्रत दिलाता है नर्क की यातानाओं से मुक्ति:- आचार्य सुजीत शास्त्री

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है. इस साल देवशयनी एकादशी 29 जून 2023(गुरूवार) को है. इस दिन के बाद से जगत के पालनहार विष्णु भगवान् योग निद्रा में चले जाते है, देवों का शयनकाल शुरू हो जाता है जो चार माह बाद यानी कार्तिक माह के देवउठनी एकादशी पर खत्म होता है. इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है.
 आचार्य सुजीत शास्त्री (मिठ्ठू बाबा)ने कहा कि देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी और पद्मा एकादशी भी कहते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि देवशयनी का व्रत करने वालों के नर्क की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती है और उनका जीवन रोग, दोष मुक्त रहता है. देवशयनी एकादशी व्रत में कथा का जरुर श्रवण करें।
इस दौरान मुंडन, उपनयन संस्कार, विवाह इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं. मान्यता है कि भगवान विष्णु के शयनकाल में मांगलिक कार्य करने से व्यक्ति को उनका आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है, जिस वजह से विघ्न उत्पन्न होने का खतरा बना रहता है. मिठ्ठू बाबा ने कहा कि हर साल चातुर्मास सामान्‍य रूप से 4 महीने का होता है, लेकिन इस साल सावन अधिक मास होने के कारण चातुर्मास 5 महीने का होगा. यानी कि इस दिन भगवान विष्णु पूरे 5 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाएंगा और फिर इसके बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी कि देवउठनी एकादशी के दिन योग निद्रा से जागेंगे।

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