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हम लोगों से अपने देश की स्थिति को अगर बेहतर बनाना है तो सबसे पहले अपनी सभ्यता , संस्कृति एवं शिक्षा को दुरुस्त करना होगा: राम लाल सिंह

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। भारती शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के वंदना सभागार में वार्षिक कार्यशाला के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में लोक शिक्षा समिति के सह सचिव राम लाल सिंह  उपस्थित रहे। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन, अनुशासन और कक्षा संचालन के ऊपर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हम लोगों से अपने देश की स्थिति को अगर बेहतर बनाना है तो सबसे पहले अपनी सभ्यता , संस्कृति एवं शिक्षा को दुरुस्त करना होगा । शिक्षक राष्ट्र निर्माण करने वाला होता है ,कोई शिक्षक अगर गलत करें तो बहुत बड़ी बात होती है साधारण व्यक्ति अगर कोई गलती करें तो क्षम है। उन्होंने शिकागो के धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद जी के द्वारा कही हुई बात कि *गर्व से कहो की हम हिंदू है* अपनी सभ्यता संस्कृति में बहुत बल है, उस समय हिन्दू धर्म के ऊपर सभी धर्म संप्रदाय को रख कर नीचा दिखाने की कोशिश की गई थी, उस पर स्वामी विवेकानंद जी कि वह बात की अगर सभी धर्म संप्रदाय के नीचे से हिंदू धर्म को हटा दिया जाए तो सभी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा  । सभी धर्म संप्रदाय को यह हिंदू धर्म संभाल के रखे हुआ है। इस पर वहां बैठे सभी लोगों ने इसको समझा  और सही माना।मेकाले के द्वारा सभ्यता , संस्कृति और शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने की साजिश का पर्दाफाश किया । उन्होंने कई सारी बातों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति और गुरुकुल के द्वारा चलाए जाने वाले शिक्षा प्रणाली को समझाने की कोशिश की और कहा कि अभी की शिक्षा नीति  वाकई ही देश को समृद्ध करने वाली है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति की कार्यप्रणाली को उन्होंने समझाने की भरपूर कोशिश कि किस तरह से स्कूली शिक्षा , प्राथमिक शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण और प्रौढ़ शिक्षा अपनी सभ्यता ,संस्कृति को एक नया आयाम देने वाली है । साथ में उन्होंने 5 प्रतिज्ञा को भी सबको याद दिलवाया ,पहली प्रतिज्ञा 2047 तक अपना देश विकसित राष्ट्र होगा; हम सभी लोग  उस वर्ष शताब्दी वर्ष मनाएंगे । दूसरी प्रतिज्ञा देश में जितने भी गुलामी का प्रतीक चिन्ह विद्यमान है उसको पूरी तरह से खत्म करना होगा । तीसरी प्रतिज्ञा देश के मान बिंदु पर गर्व करना हम सबको सिखाएं । चौथी प्रतिज्ञा एकता एवम एकजुटता पूरे देश में हम सबको बनाना है मतलब सभी के बीच समरसता का भाव जगाना है । पांचवी प्रतिज्ञा अपने  कर्तव्य को पूरी ईमानदारी से पूर्ण करना है । दूसरे दिन के दूसरे सत्र में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्ष श्री कौशल किशोर चौधरी जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा  ई लाइब्रेरी पर बल दिया, देश में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए हम सभी को पढ़ना होगा, जन जन  को पढ़ने के लिए प्रेरित करना होगा,  उन तक किताबों को पहुंचाना होगा । 30 के सभी विद्यालय महाविद्यालय विश्वविद्यालय की किताबें सबकी पहुंच में लाना होगा और उसका माध्यम होगा यह इलेक्ट्रॉनिक पुस्तकालय । अंग्रेजी के एक महान शिक्षाविद फादर कामिल बुलके ने कहा था कि हिंदी भाषा भाषाओं की रानी है, संस्कृत भाषा महारानी है और अंग्रेजी नौकरानी है  । कहने का मतलब है कि हम सबको अपनी राष्ट्रभाषा अपनी बोली में शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए ताकि हम सभी लोग अपने भाव और स्वभाव को व्यक्त कर सके । दूसरे दिन की तीसरी सर में प्रभारी प्राचार्य राजेश कुमार वर्मा ने महाविद्यालय के नियमावली और वार्षिक कार्यों की समीक्षा की ।

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