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बंध्याकरण ऑपरेशन विफल होने के मामले में बिहार में पहली बार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव हुए तलब

–जिला उपभोक्ता आयोग ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव सहित अन्य तीन अधिकारियों को आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए जारी किया नोटिस

–पीड़ित महिला ने मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा के माध्यम से जिला उपभोक्ता आयोग में 11 लाख रूपये मुआवजे के लिए दाखिल की थी याचिका

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। जिले से एक बेहद चौकाने वाली खबर सामने आयी हैं, मोतीपुर थाना क्षेत्र के महना गांव निवासी फुलकुमारी देवी वर्ष 2019 में बंध्याकरण हेतु ऑपरेशन स्थानीय मोतीपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में करवायी थी। बंध्याकरण के दो वर्ष बाद महिला फिर से गर्भवती हो गयी,  उसके बाद परिजनों ने उसे स्थानीय मोतीपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाकर जाँच करवाया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा उक्त महिला का अल्ट्रासाउंड कराया गया। अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में महिला के गर्भवती होने की पुष्टि हो गयी। उसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोतीपुर के चिकित्सकों के बीच हड़कंप मच गई।

विदित हो कि महिला ने बंध्याकरण ऑपरेशन के बाद एक पुत्र को जन्म दी है। जबकि महिला को पहले से ही चार बच्चे हैं। महिला काफी गरीब परिवार से ताल्लुकात रखती हैं, जिस कारण महिला के परिजन बच्चों के भविष्य को लेकर काफी हताश व निराश है। उसके बाद महिला ने कोर्ट का रुख अपनाई और अपने बच्चे के भविष्य व पालन-पोषण के लिए स्वास्थ्य विभाग पर 11 लाख रूपये मुआवजे के लिए जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दर्ज की। मामले के सम्बन्ध में मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने बताया कि पूरे देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है तथा समय-समय पर जनसंख्या नियंत्रण के लिए क़ानून बनाने की बातें सामने आती है, लेकिन मुजफ्फरपुर में सामने आए इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी है। उक्त महिला की ओर से प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग, कार्यपालक निदेशक सह सचिव स्वास्थ्य, राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार, उपनिदेशक परिवार नियोजन, राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार एवं प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सा पदाधिकारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोतीपुर के विरुद्ध परिवाद दाखिल किया गया है, जिसपर आयोग द्वारा सुनवाई करने के पश्चात सभी विपक्षियों के विरुद्ध नोटिस जारी किया गया है और सभी विपक्षियों को आयोग के समक्ष 13 जनवरी 2022 को सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। पीड़ित महिला की ओर से मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा मुकदमा लड़ रहे हैं, जिसके कारण यह मुकदमा और भी दिलचस्प हो गया है।

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