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“अनुरागोत्सव “में आए ज्ञानवृद्ध और वयोवृद्ध साहित्यकारों ने कविगोष्ठी का आयोजन किया

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। उदय नारायण सिंह प्रधानमंत्री जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन, मुजफ्फरपुर का जन्म दिन साहित्यकारों ने शनिवार को “अनुरागोत्सव “के रूप में मनाया। इस अवसर पर जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष चितरंजन सिन्हा कनक की अध्यक्षता में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष चितरंजन सिन्हा कनक की अध्यक्षता में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया । आगत कवियों ने उदय जी को अपने नेह -स्नेह के दुर्वादल और दुर्वाक्षत से अभिसिंचित किया तथा कवियों ने “जीवेत शरदः शतम् “की सौगात से उनके चिरंजीवी होने की परम पिता परमेश्वर से शुभकामना की ।अपने आशीष वर्षण से सिक्त करने वाले कवियों में डाॅ महेन्द्र मधुकर, डाॅ शारदाचरण, डाॅ संजय पंकज, विष्णु कांत झा,प्रमोद मिश्र, प्रेम कुमार वर्मा, ठाकुर विनय कुमार शर्मा, गणेश प्रसाद सिंह, देवेन्द्र कुमार, डाॅ बी के मल्लिक, मधुमंगल ठाकुर, अमरेंद्र तिवारी, अरुण कुमार शाही ,राजनारायण सिंह , अशोक कुमार राय ,अमरेंद्र कुमार ठाकुर और श्रीमन्नारायण सिंह जैसे धी संपन्न कवियों /विद्वत जनों की उपस्थिति से गोष्ठी सुगंधित तथा सुवासित थी ।
आगत कवियों एवं विद्वत जनों का स्वागत -संबोधन करते हुए उदय जी ने कहा कि आप सभी ने मेरे जन्म दिन “अनुरागोत्सव “पर पधार कर मुझे जो स्नेह दिया है, इस हेतु मैं आप सबों का अपने अंतस से नमन, वंदन और अभिनंदन करता हूँ और सतत आपसे ऐसे ही नेहिल स्नेह की कामना करता हूँ ।साहित्य मार्तण्ड डाॅ महेन्द्र मधुकर ने कहा कि, धनवान होना भाग्य की बात ,पर इनसान होना सौभाग्य की बात है ।उदय जी सच्चे इनसान हैं ।हम सतत इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं ।डाॅ शारदाचरण ने कहा उदय जी के व्यक्तित्व में एक चुम्बकत्व है जो किसी को भी बड़ी सहजता से अपनी ओर खींच लेता है ।भाई मैं तो इनकी सहजता का मुरीद हूँ ।डाॅ संजय पंकज ने कहा उदय भाई के व्यक्तित्व में खुलापन है, नयापन है और है सबों के प्रति अपनापन जो इन्हें भीड़ से अलग पहचान दिलाती है ।कवि कृष्ण मोहन प्रसाद ने कहा उदय जी प्रेम और अध्यात्म के कवि है ।फलतः इनके सब चहेते हैं? प्रमोद नारायण मिश्र ने कहा उदय जी राग -विराग से ऊपर उठे हुए कवि हैं ।मुझे इन्हें वितरागी कहने में कोई शब्द संकोच नहीं है ।रमेश प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा उदय जी भाव और स्नेह के कवि है ।मनुष्यता इनमें कूट -कूट कर भरी है ।ठाकुर विनय कुमार शर्मा ने कहा उदय जी मेरे अभिन्न मित्र हैं।वाकई इनकी सरलता काबिलेतारीफ है ।कवि देवेन्द्र कुमार ने कहा उदय जी का व्यक्तित्व समन्वय वादी है ।समय और परिस्थिति के साथ कैसे जिया जाए, यह कोई उदय जी से सीखे , डाॅ बी के मल्लिक ने कहा उदय जी स्वार्थ में नहीं परार्थ में जीते हैं और अंत में अपने अध्यक्षीय संबोधन में चितरंजन सिन्हा कनक ने कहा उदय जी शुद्ध नहीं विशुद्ध सोना हैं, मेरी समझ से इन्हें सुहागा में डालकर परखने की कोई जरूरत नहीं ।ये शतायु हो! चिरंजीवी हो!हमारी यही शुभकामना है ।
दूसरे सत्र में सभी मूर्धन्य कवियों ने अपनी – अपनी मोहक और मनभावन कविता से कवि -गोष्ठी को चित्रा – संयुक्त चंद्रमा की तरह शोभायमान बना दिया ।
अंत में श्रीमन्नारायण सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन एवं आगत अतिथियों के प्रति सम्मान एवं आभार प्रकट कर कवि गोष्ठी को विराम दिया ।

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