मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। मिठनपुरा इलाके के सर सीपीएन कॉलनी स्थित वृद्धाश्रम में इनरव्हील क्लब ऑफ लिच्छवी द्वारा मकर संक्रांति के अवसर पर बुजुर्गों के बीच तिल, चुरा, लाई, दही, चीनी, गुर समेत कई भोजन सामग्री का वितरण किया गया। क्लब की सदस्यों ने बुजुर्गों के बीच रहकर पर्व मनाया।
चार्टर्ड डॉ वंदना विजयालक्ष्मी ने कहा कि भारत में जितने भी त्योहार हैं, सब किसी ना किसी तरह से जोतिष्य शास्त्र और स्वास्थ्य दोनों से जुड़े हुए हैं। ऐसा ही कुछ मकर संक्रांति (Makar sankranti 2023) के साथ भी है। पूरे भारत में मकर संक्रांति पर गुड़, तिल, खिचड़ी, दही और चूड़ा खाने की परंपरा रही है। अगर आप ध्यान से देखें तो ये सभी चीजें सर्दियों के लिहाज से गर्म प्रकृति वाले फूड हैं और स्वास्थ्य के हिसाब से हेल्दी। गुड़ जहां आयरन से भरपूर है तो, वहीं खिचड़ी हाई कैलोरी और विटामिन से। तो, दही-चूड़ा हाई फाइबर और विटामिन सी से भरपूर भोजन है।

मिठनपुरा स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल की निदेशक और क्लब की पूर्व अध्यक्ष डॉ रीता पराशर ने कहा कि क्लब द्वारा बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसी कड़ी में मकर सक्रांति को लेकर दही, चुरा आदि का वितरण किया गया। उन्होंने कहा कि दही चूड़ा सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है। सबसे पहले चूड़ा जिसे बहुत से लोग चुरा, चिवड़ा या पोहा कहते हैं ये चावल वाले धान से बनता है। ये एक कच्चा भोजन है जिसमें कॉम्प्लेक्स फाइबर होता है और ये आसानी से नहीं पचता। ये पानी सोखता है और धीमे-धीमे पचता है। इसके दो फायदे हैं पहला ये दिन भर पेट को भरा रखता है और दूसरा ये मेटाबोलित रेट यानी पाचन तंत्र के काम करने की गति बढ़ाता है। अब बात दही की तो दही प्रोबायोटिक फूट है जो कि गट बैक्टीरिया को बढ़ाता है और पाचन क्रिया को तेज करता है। इसके अलावा भी दही चूड़ा खाने के फायदे कई हैं।
इस अवसर पर मृदुला रानी, मीरा श्रीवास्तव, पिंकी सिन्हा, डॉक्टर मीरा चौधरी, सोनी तिवारी, प्रेरणा नाथ समेत कई सदस्य उपस्थित थे।