–शहरीकरण के कारण डेंगू अपना पाँव पसार रहा
मुजफ्फरपुर। बेपिकॉन (एसोसिएशन आफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया बिहार चैप्टर)-2022 द्वारा 32 वें वार्षिक अधिवेशन के तीसरे और अंतिम दिन नम आंखों से सभी सदस्यों ने एक दूसरे को विदाई दी।
सभी वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखें। एपीआई बिहार चैप्टर के चेयरमैन डॉक्टर ए के सिंह ने कहा कि हम अपने एपीआई चैप्टर का विस्तार दिन प्रतिदिन करते जा रहे हैं। आने वाले दिनों में एपीआई बिहार चैप्टर से हमारा प्रतिनिधित्व 1000 से ज्यादा होगा और आज समापन के दिन ऐसा महसूस हो रहा है जैसे बेटी की विदाई हो और नम आंखों से सभी लोगों को धन्यवाद दिया। साथ ही कहा कि है ये आंसू खुशी के हैं और इसके लिए कार्यक्रम सचिव डॉ एके दास की जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम है।
डेंगू की बीमारी को लेकर पटना एम्स के डॉक्टर रवि कीर्ति ने कहा कि शहरी इलाकों में सबसे ज्यादा डेंगू का विस्तार हुआ है। क्योंकि वहां पर कचरा प्रबंधन बेहतर नहीं होता है। इस कारण पानी का जमाव होता है और डेंगू के मच्छर पनपते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम मच्छरों से बचाव के लिए अपने घर में समुचित व्यवस्था करें ताकि डेंगू को रोका जा सके। शहरीकरण के कारण डेंगू का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। डेंगू सबसे ज्यादा अगस्त से नवंबर महीने में बढ़ता हैं। ऐसे में जरूरी है कि इन महीनों में हम एहतियात बरतें और डेंगू से बचाव करें। वही बचाव को लेकर उन्होंने कहा कि
डेंगू में कोई भी दवा काम नहीं करती है। ऐसे में जरूरी है कि डेंगू की जांच होने के बाद मरीज अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें और तरल पदार्थ लेते रहें। जब बुखार गिरने लगे, तो ऐसे में मरीजों को डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। क्योंकि उसी समय प्लेटलेट्स गिरता है और पानी शरीर से निकलता है। ऐसे में जरूरी है कि हम अपने शरीर के पानी को नियंत्रित कर बीमारी को भगाएं और बुखार उतारने के लिए सिर्फ पेरासिटामोल का इस्तेमाल करें।
एम्स पटना के डॉक्टर रमेश कुमार ने लिवर सिरोसिस को लेकर कहा कि आप अपने लिवर का ख्याल 3 कप कॉफी से रख सकते हैं। कॉफी लीवर की बीमारियों को दूर भगाने में प्रतिरोधक का काम करता है। ऐसे में जरूरी है कि हम अपने दिनभर की खानपान में तीन कप कॉफी का इस्तेमाल करें। साथ ही उन्होंने कहा कि लिवर सिरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो 8-10 साल तक शांत रहती है और उसके किसी प्रकार के लक्षण मरीज के शरीर में दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन बीमारी बढ़ जाने के बाद लीवर प्रत्यारोपण के अलावा मरीज के पास कोई विकल्प नहीं होता है। ऐसे में जरूरी है कि हम लिवर सिरोसिस की पहचान के लिए फाइब्रोस्कैन करवाएं और लिवर सिरोसिस की शुरुआती जांच करके उसका उपचार करें।
कार्यक्रम के समापन पर पीजी के छात्रों को सम्मानित किया गया और छात्रों के बीच क्विज प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। जिसमें अव्वल आने वाले छात्रों को सम्मानित कर उत्साहित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. बीबी ठाकुर, डॉ. कमलेश तिवारी, एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. बी.एस. झा, डॉ. राजीव भूषण सिन्हा, डॉ. शैलेंद्र कुमार, डॉ. नवनीत आदि मौजूद थे। सभी ने कार्यक्रम को बेहतर रूप से संचालित करने में अपना सहयोग दिया।