खबरें बिहार

आचार्यश्री शक्ति साधना और आलोक के कवि हैं : संजय पंकज

महावाणी स्मरण में जानकीवल्लभ शास्त्री और शक्ति साधना विषयक विमर्श
मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। ” जीवन जगत के यथार्थ और शाश्वत सत्य को गीत कविता में जैसे ऋषि और साधक कवियों ने निरूपित किया उसी तरह आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री के गीतों में भी वैसे ही उदात्त भावों के दर्शन निरूपित हैं। आध्यात्मिक चेतना और आत्मा की भाषा में सौंदर्यपूर्ण जीवन के मूल्यों की बातें श्रेष्ठ कवि सदा करते हैं। जानकीवल्लभ शास्त्री शक्ति साधना और आलोक के श्रेष्ठ कवि गीतकार हैं।”- ये बातें निराला निकेतन में ‘ जानकीवल्लभ शास्त्री और शक्ति साधना ‘ विषयक आयोजित महावाणी स्मरण में कवि-गीतकार और बेला के संपादक डॉ संजय पंकज ने कही। आचार्यश्री के गीत – जीवन ज्योति जले, अथिर तिमिर आलोक लोक को, पल छिन भी न छले – को भावपूर्ण स्वर में प्रस्तुत करने के उपरांत डॉ संजय पंकज ने विस्तार से बोलते हुए कहा कि शास्त्री जी ने हृदय और प्राण को अपनी रचनाओं में निचोड़ कर रख दिया है। सौंदर्यपूर्ण भाषा- वैभव में भाव का अमृत शास्त्री जी की श्यामा संगीत और राधा जैसी कालजयी कृतियों में देखने योग्य है‌। आचार्यश्री महनीय मूल्यों और दिव्य भावों के कालजई कवि हैं।
जीवन का लक्ष्य संग्रह नहीं है। कवि डॉ विजय शंकर मिश्र ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा के शास्त्री जी बड़े अध्येता और साधक थे। उनकी शक्ति साधना का उद्देश्य सहज हो जाना है। विविधवर्णी शक्ति को आचार्य जी ने अपने गीतों में भरपूर चित्रित किया है। डॉ शैल केजरीवाल की अध्यक्षता में डॉ विजय शंकर मिश्र ने आचार्य जी के प्रिय गीत मैं गाऊं तेरा मंत्र समझ जग मेरी वाणी कहे कहे – सुना कर पूरे वातावरण को गीतमय कर दिया। लता ज्योतिर्मय ने – सौ दो वर्षों की छोड़ें चल सदियों का रुख मोड़ें, हम भारत के संभ्रांत महल की ईंट ईंट फिर से जोड़ें, संजय पंकज ने मां केंद्रित गीत की पंक्तियों – चूल्हा हो या हो घर आंगन सब में जलती खटती अम्मा, धूप संग दिन-रात उसीके जिसमें जलती गलती अम्मा – से मातृ अनुभूति कराई। नरेंद्र मिश्र ने – चौराहे पर खड़ा पथिक था, देख रहा सब राहों को – सुनाकर सबको उत्साहित किया। अन्य काव्य पाठ करने वालों में अंजनी कुमार पाठक, रामवृक्ष चकपुरी, उमेश  राज, आलोक कुमार, अरुण कुमार तुलसी, मोहन प्रसाद, कुमार विभूति सराहनीय और प्रेरक रहे। कवियों ने विभिन्न भावों के गीत गजल और कविता सुनाकर गोष्ठी को परवान चढ़ाया। आयोजन में  ब्रजभूषण शर्मा, अविनाश तिरंगा, मुकेश त्रिपाठी आदि दर्जनों महत्वपूर्ण लोगों की उपस्थिति रही। संचालन विजय शंकर मिश्र ने तथा धन्यवाद ज्ञापन एच एल गुप्ता ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *