मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। भारती शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में बीएड 2022-2024 का सत्रारंभ पूजा अर्चना के साथ हुआ । जिसमें प्रथम वर्ष के सभी विद्यार्थियों ,सभी प्राध्यापकों और सभी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। जिसमें महाविद्यालय के सभी कार्यकर्ताओं, प्राध्यापकगण का परिचय नए विद्यार्थियों से करवाया गया। सभी नए विद्यर्थियों का चंदन लगा कर स्वागत किया गया । इस सत्र में आये अतिथि डॉ श्री प्रकाश पाण्डे ने कहा कि ईमानदारी के बिना पढ़ाई सम्भव नही है, समय और परिश्रम के साथ ईमानदारी हो, तो पढ़ाई ठीक से होगी। उन्होंने विद्यार्थियों के पाँच लक्षणों की चर्चा की,मूल बात थी कि पढ़ाई एक तपस्या है । विद्यार्थी संस्था में केवल एक चौथाई ही सीखता है, एक चौथाई अपने दोस्तों के साथ सीखता है, एक चौथाई समय सीखाता है और बाकी एक चौथाई अपनी बुद्धि से विद्या अर्जित करता है । शिक्षक केवल विषय का बोध कराता है, और आगे विद्यार्थी मंथन करके सीखता है ।सच तो यह कि शून्य ही पूर्ण है और वही सही मायनों में विद्या है । ऊपर के उदहारण में एक चौथाई पाद में विद्या में पूर्ण होती है । कुछ चीजें विषय पढाने से भी मानस में प्रवेश नहीं करता है, जो बाद में समय सीखाता और समझाता है । शिक्षक होना आसान नही है, अगर शिक्षकत्व नही है तो शिक्षक होना संभव नही हो सकता है । अगर हम कुछ गलत सीखते है तो पूरा जीवन सही सीखने या करने में ही लग जाता है । हमलोगों को हंस से सीखना चाहिए कि वह सिर्फ़ दूध ग्रहण करता है और पानी को छोड़ देता है, वैसे ही हमलोगों को भी सही ज्ञान को अर्जित करना चाहिए बाकी को छोड़ देना चाहिए । विद्यार्थियों को मर्यादा में रहना चाहिए और यही अनुशासन है ।
साथ मे लोक शिक्षा समिति और विद्या भारती को विभाग निरीक्षक ललित कुमार राय जी ने बहुत अच्छे ढंग से समझाया और कहा कि देश मे 16000 से ज्यादा विद्या भारती के विद्यालय है और इसका मूल उद्देश्य है विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास और अंत मे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ दीप्तांशु भास्कर ने विद्यार्थियों को संबोधित किया कि विद्यार्थी जीवन बहुत अनमोल है ,आज सीखी गयी विद्या कल भविष्य में अर्थ पूर्ण हो कर जीवन को संवारने का काम करती है । इसलिए विद्यार्थी जीवन को एक तपस्या समझ कर विद्या का अर्जन करे । और सबसे अंत मे वंदे मातरम के साथ सत्रारंभ को अगले वर्ष तक के लिए शुभकामनाएं देते हुए विराम दिया गया ।