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डीएवी संस्थाओं के संस्थापक एवं महान शिक्षाविद व समाज सुधारक महात्मा हंसराज जी की जीवनी अनुकरणीय एवं अविरल है: प्राचार्य मनोज कुमार झा

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। डीएवी पब्लिक स्कूल ख़बड़ा में मंगलवार को महात्मा हंसराज जी की जयंती मनाई गई. कार्यक्रम की शुरुआत वेद मंत्रों के साथ महात्मा जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए की गई।मौके पर विद्यालय के छोटे-छोटे बच्चे एवं शिक्षकों ने महान शिक्षाविद एवं समाज सुधारक दयानंद स्वामी के अनुगामी महात्मा हंसराज जी के 158 वें जन्मदिवस को समर्पण दिवस के रूप में मनाया। जैसा ठीक ज्ञातव्य है  महात्मा हंसराज अविभाजित भारत के पंजाब के आर्यसमाज के एक प्रमुख नेता और शिक्षाविद थे, पंजाब में दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों की स्थापना करने के कारण उनकी कीर्ति अमर है।महात्मा हंसराज का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त के होशियारपुर के निकट बजवाड़ा गांव में हुआ था।मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें बालक-बालिकाओं द्वारा आकर्षक और प्रेरणास्पद प्रस्तुतियां दी गई।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्य मनोज कुमार झा ने बताया कि 19 अप्रैल 1864 को जन्मे महात्मा हंसराज ने महर्षि दयानंद के विचारों से प्रभावित होकर लाहौर में अविभाजित हिन्दुस्तान के प्रथम विद्यालय की स्थापना 1886 में की। मात्र 22 वर्ष की आयु में ऐसे विद्यालय की स्थापना करते हुए महात्मा हंसराज इस विद्यालय के प्रथम प्रधानपाठक हुए और अवैतनिक रूप से विद्यालय को अपनी सेवाएं देते रहे। इस तरह 132 वर्ष पूर्व दयानंद एंग्लो वैदिक पब्लिक स्कूल की शुरुआत हुई जो हिन्दुस्तान में स्कूली तथा महाविद्यालयीन शिक्षा की सबसे बड़ी श्रृंखला है और जिसकी शाखाएं न केवल देश में अपितु विदेशों में भी है। आज भी डीएवी संस्थाएं अपने मौलिक तत्व शिक्षा सेवा एवं संस्कार के प्रति अनवरत रूप से क्रियाशील है। इस अवसर पर बच्चों ने महात्मा हंसराज जी के जीवन दर्शन पर आधारित चित्रकला, संभाषण, क्विज, समूह गायन आदि विभिन्न स्पर्धाओं में भाग लिया तथा  चयनित बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया।

प्राचार्य ने इस अवसर पर विद्यालय के समस्त शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों  तथा बच्चों को बधाईयां दी और बताया कि स्कूली तथा महाविद्यालयीन शिक्षा में महात्मा हंसराज के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। हम उनके इस अमिट योगदान से प्रेरणा पाएं और अपने तथा समाज के लिए प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकें तो संत हंसराज के योगदान को सार्थक कर सकेंगे। मौके पर उपस्थित अभिभावकों ने भी महात्मा हंसराज जी के प्रति श्रद्धा भावना अर्पित की।

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