–मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा की याचिका पर हुई बड़ी कार्रवाई, सकते में मुम्बई पुलिस
मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। अक्षत उत्कर्ष की हुई मौत के मामले में मुम्बई पुलिस, अक्षत के पिता एवं उसके परिजनों का बयान नहीं ले रही थी। जबकि अक्षत की मौत करीब एक वर्ष पूर्व मुम्बई में हुई थी। मामले के संबंध में मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को मामले की जानकारी दी थी। तत्पश्चात सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने महाराष्ट्र विधिक सेवा समिति को उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया था तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी मुम्बई पुलिस कमिश्नर को जाँच का निर्देश दिया था। अंततः थक-हारकर मुम्बई पुलिस को अक्षत उत्कर्ष के परिजनों का बयान लेने के लिए मुजफ्फरपुर बाध्य होकर आना ही पड़ा है। मामले के संबंध में मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने कहा कि मुम्बई पुलिस को कानून का अहसास कराना जरूरी था क्योंकि मामले में एक साल तक मुम्बई पुलिस द्वारा कोई जाँच नही किया जाना तथा अक्षत के परिजनों का बयान नही लिया जाना मुम्बई पुलिस की लापरवाही को दर्शाता है। साथ-ही-साथ मुम्बई पुलिस द्वारा अक्षत के परिजनों को उनके विधि के समक्ष समता के अधिकार से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा था, जो मानवाधिकार का उल्लंघन है।