– मां सरस्वती का है प्राकट्य दिवस
मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आराधना की जाती है। मां सरस्वती के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व इस बार 5 फरवरी, शनिवार को है। बसंत पंचमी को बागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी भी कहा जाता है। इस दिन मांगलिक कार्य जैसे मुंडन संस्कार, विद्यारंभ करना, अन्नप्राशन संस्कार, गृह प्रवेश या अन्य कोई शुभ कार्य करना अच्छा माना जाता है। यहां तक कि विवाह के लिए भी इस दिन बेहद उत्तम योग का निर्माण होता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन विवाह के लिए सर्वश्रेष्ठ संयोग और अबूझ मुहूर्त होता है। अबूझ विवाह मुहूर्त से यहां अभिप्राय उन जोड़ों से हैं, जिनके विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं निकल पाता। वे बेझिझक बसंत पंचमी के दिन विवाह कर सकते हैं। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े विद्यार्थियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। आचार्य सुजीत शास्त्री “मिट्ठू बाबा” बताते हैं कि बसंत पंचमी के दिन से ही वसंत ऋतु का भी आगमन होता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का अवतरण हुआ था।यही वो दिन था, जब वेदों की देवी प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन को शिक्षा या कोई अन्य नई कार्य शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से साधकों को अपने घर में सरस्वती यंत्र स्थापित करना चाहिए। यदि आपके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता है, आपके जीवन में निराशा का भाव है तो बंसत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन अवश्य करें। शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक रोचक कथा है। पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की। अपनी रचना से वे संतुष्ट नहीं थे। उदासी से सारा वातावरण शांत सा हो गया था। यह देखकर ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल से जल छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जिनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी। उनके तीसरे हाथ में माला और चौथा हाथ वरद मुद्रा में था। जैसे ही उस देवी ने वीणा की मधुर तान छेड़ी, सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को आवाज मिल गई। इसलिए इन्हें देवी सरस्वती के रूप में नामित किया गया। चूंकि इस दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी थी। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाने लगी।
बसंत पंचमी पर करें ये उपाय, शिक्षा में मिलेगी सफलता
जो विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर हैं या जिन्हें बार-बार प्रयास करने के बाद भी सफलता हासिल नहीं हो रही है, ऐसे छात्रों को वसंत पंचमी के दिन कुछ उपाय करने से उनका पढ़ाई में मन भी लगेगा और उन्हें शिक्षा में सफलता मिलेगी। श्री मिश्र बताते हैं कि कई बार घर में इस तरह का वास्तुदोष होता है कि विद्यार्थियों को शिक्षा में अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाता। इसलिए आपका बच्चा कहां पढ़ रहा है, पढ़ते वक्त किस दिशा में उसका चेहरा है, इस बात पर गौर करना बेहद जरूरी हो जाता है। परीक्षा में सफलता के लिए मेहनत के साथ-साथ अध्ययन कक्ष का सही दिशा में होना बहुत आवश्यक है।
पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा ध्यान और शांति की दिशा मानी गई है व सकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव भी इसी दिशा में सबसे अधिक होता है। इसलिए ध्यान रहे कि अध्ययन कक्ष इन्हीं दिशाओं में हो और पढ़ते समय चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे। पढ़ाई की मेज रखने की सबसे उपयुक्त जगह उत्तर जोन है। यहां मेज रखने से बच्चे कॅरियर पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हैं। पढ़ाई के लिए कमरे में पुस्तकों की छोटी और हल्की रैक या अलमारी पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए।
ये करें उपाय :
– वसंत पंचमी के दिन विद्यार्थी श्वेत या पीले वस्त्र पहन कर पढ़ने की मेज पर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में बुद्धि के देवता गणेश और शिक्षा की देवी मां सरस्वती की तस्वीर लगाएं।
– मां सरस्वती की विधिविधान से पूजा करने के दौरान उनको पीले पुष्प, पीले रंग की मिठाई या खीर जरूर अर्पित करना चाहिए।
– इसके अलावा उनको केसर या पीले चंदन का टीका लगाएं एवं पीले वस्त्र भेंट करें।
– पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को रखें, ऐसा करने से मां सरस्वती की कृपा से ही व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि, विवेक के साथ विज्ञान, कला और संगीत में महारत हासिल करने का आशीष मिलता है।
– अगर विद्यार्थी का मन पढ़ाई में नहीं लगता है, तो उन्हें मां सरस्वती के मूल मंत्र ‘ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः’ का जाप करना चाहिए। मंत्र का जाप ब्रह्म बेला में, स्वच्छ आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।