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जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर एक वर्चुअल परिचर्चा एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया

मुजफ्फरपुर (जनमन भारत संवाददाता)। जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर एक वर्चुअल  परिचर्चा एवं कवि गोष्ठी का आयोजन सम्मेलन के संरक्षक डाॅ. महेन्द्र मधुकर की अध्यक्षता में की गई। सम्मेलन अध्यक्ष चितरंजन सिन्हा कनक ने इस अवसर पर कहा कि हिंदी से हमारी पहचान है। डाॅ. शारदाचरण ने कहा -हिंदी भारत को एक सूत्र में जोड़ने की भाषा है ।उदय नारायण सिंह ने कहा -हिंदी भाषा कोहिनूर है जिसके सामने और भाषाएँ बेनूर हैं ।
वही गणेश प्रसाद सिंह ने कहा हिन्दी हमारी अस्मिता है ।उत्तम कुमार ने कहा कि हिंदी हर जन और हर मन की भाषा है ।
डाॅ नीलिमा वर्मा ने कहा -हिंदी सरल, सहज और सुबोध भाषा है ।डाॅ लोकनाथ मिश्र ने कहा कि हिंदी पूरे भारत को जोड़ने वाली भाषा है ।रमेश प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा -हिंदी प्यार और स्नेह की भाषा है । कवि कृष्ण मोहन प्रसाद ‘मोहन ‘जी ने कहा हिंदी सर्वहारा की भाषा है ।अपने अध्यक्षीय उदगार में डाॅ महेन्द्र मधुकर ने कहा हिंदी आज पूरे विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में अग्रणी है ।अब हिंदी हिन्दुस्तान की चारदीवारी को लाँघ कर वैश्विक भाषा हो गई है।
         दूसरे सत्र में सम्मेलन अध्यक्ष  चितरंजन सिन्हा कनक की अध्यक्षता में  कवि गोष्ठी हुई । डाॅ महेन्द्र मधुकर ने अपनी कविता “पृथ्वी -पत्र “सुनाकर कवियों का दिल जीत लिया तो डाॅ शारदाचरण ने “दर्पण बोला “सुनाकर गोष्ठी को महमह कर दिया ।उदय नारायण सिंह ने अपनी कविता “तार -सप्तक “से कवियों के मन -प्राण को तरंगित किया तो डाॅ नीलिमा वर्मा ने “मेरी यारी छूटे न “सुनाकर सब को गुदगुदाया ।रमेश प्रसाद श्रीवास्तव, डाॅ लोकनाथ मिश्र, हरिनारायण गुप्त, रणवीर अभिमन्यु, डाॅ वंदना विजय लक्ष्मी, प्रेम कुमार वर्मा, ठाकुर विनय कुमार शर्मा, देवेन्द्र कुमार और मधुमंगल ठाकुर ने भी अपनी -अपनी भाव- भावित कविता सुनाकर कवि जन को उत्साहित और आनंदित किया ।
           धन्यवाद ज्ञापन सम्मेलन प्रवक्ता गणेश प्रसाद सिंह   ने किया। इसके बाद परिचर्चा एवं कवि गोष्ठी समाप्त की गई ।

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